अब हाईकोर्ट में दाखिल होगी किसान आबादी भूखंड घोटाले की जांच का मामला

Update: 2022-10-06 13:05 GMT

एनसीआर नॉएडा न्यूज़: ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में हुए किसान आबादी भूखंड घोटाले में जांच आगे नहीं बढ़ रही है। पिछले महीने तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुरेंद्र सिंह ने इस मामले की जांच अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी अदिति सिंह को सौंपी थी। अदिति सिंह ने जांच करने के लिए अफसरों की एक कमेटी का गठन कर दिया। अब इस मामले में 3 सप्ताह बीत चुके हैं, लेकिन हालात जस के तस हैं। आपको बता दें कि सुरेंद्र सिंह ने एक सप्ताह में जांच रिपोर्ट अदिति सिंह से मांगी थी। दूसरी ओर शिकायत करने वाले किसानों का कहना है कि अब इस मामले में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। मामले में जनहित याचिका दायर की जाएगी। गौतमबुद्ध नगर विकास समिति किसानों का मुकदमा हाईकोर्ट में लड़ेगी।

क्या है मामला: ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण जिन किसानों की जमीन का अधिग्रहण करता है, उन्हें भविष्य में आबादी विस्तार के लिए 4%, 6% और 10% आवासीय भूखंडों का आवंटन करता है। यह आवंटन अधिग्रहीत भूमि के क्षेत्रफल के सापेक्ष किया जाता है। पहले अथॉरिटी 6% आवासीय भूखंड का आवंटन करती थी। ग्रेटर नोएडा वेस्ट में प्राधिकरण और किसानों के बीच साल 2009 से विवाद शुरू हुआ। इसका समाधान अक्टूबर 2011 में निकला। पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि ग्रेटर नोएडा के मूल निवासी किसानों को भविष्य में आबादी विस्तार के लिए 10% भूखंडों का आवंटन किया जाए। हालांकि, इसमें अधिकतम क्षेत्रफल की सीमा 2500 वर्ग मीटर निर्धारित की गई है।

प्राधिकरण अफसरों ने इस पॉलिसी का जमकर दुरुपयोग किया: प्राधिकरण ने आबादी भूखंडों के आवंटन में इन सारे नियमों का खुला उल्लंघन किया है। मसलन, पुश्तैनी किसान आबादी भूखंड लेने के लिए धक्के खा रहे हैं। दूसरी ओर गैर पुश्तैनी यानी दूसरे राज्यों और दूसरे जिलों के निवासियों को धड़ाधड़ भूखंड आवंटन किए गए हैं। इतना ही नहीं बिल्डरों, कंपनियों, को-ऑपरेटिव सोसायटी और बाहर के रहने वाले कारोबारियों को आबादी के भूखंड आवंटित कर दिए हैं। अधिकतम 2500 वर्ग मीटर की सीमा का ख्याल भी नहीं रखा गया है। जिन कंपनियों को भूखंडों का आवंटन किया गया है, उनमें अवैध ढंग से डायरेक्टर बढ़ाए गए हैं। कंपनी को खातेदार ना मानकर निदेशकों को खातेदार माना गया है। दूसरी ओर किसान परिवारों को संयुक्त खातेदार मानकर केवल एक भूखंड का आवंटन किया गया है। आबादी भूखंडों पर बिल्डरों ने बड़ी-बड़ी हाउसिंग सोसायटी बनाकर खड़ी कर दी हैं। इस पूरे घोटाले का खुलासा 'ट्राईसिटी टुडे' ने किया है। पिछले करीब एक महीने से 'ट्राईसिटी टुडे' इस मामले पर विशेष समाचार श्रृंखला का प्रकाशन कर रहा है। जिसके बाद ग्रेटर नोएडा के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुरेंद्र सिंह ने जांच का आदेश दिया था।

तीन सप्ताह से जांच पर कोई प्रगति नहीं हुई: शिकायत करने वाले किसानों में सैनी गांव के पूर्व प्रधान ब्रह्मसिंह का कहना है, "सुरेंद्र सिंह को इस मामले में जांच का आदेश दिए हुए करीब 3 सप्ताह बीत चुके हैं। अब तक इस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है। तत्कालीन सीईओ ने अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी अदिति सिंह को जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। अदिति सिंह ने खुद जांच करने की बजाय विशेष कार्य अधिकारी सौम्य श्रीवास्तव की अगुवाई में 5 अफसरों की एक जांच समिति बनाई है। यह जांच समिति पूरे मामले को लेकर बैठी हुई है। समिति ने अब तक एक बार भी बैठक नहीं की है। शिकायत कर्ताओं से बातचीत नहीं की है।" दूसरे शिकायतकर्ता पूर्व प्रधान डॉ.जगदीश नागर का कहना है, "दो बार हम लोगों को एसीईओ ने अपने कार्यालय बुलाया। बिना बात किए और साक्ष्यों पर चर्चा के बिना वापस लौटा दिया। हम दो बार सौम्य श्रीवास्तव के कार्यालय में भी जा चुके हैं। हमें बताया गया था कि 30 सितंबर को बैठक होगी। उस दिन बैठक नहीं हुई। इसके बाद 6 अक्टूबर की तारीख निर्धारित की गई थी। आज भी जांच समिति ने बैठक नहीं की है।"

अफसर मामले में एक्शन नहीं करना चाहते, अब हाईकोर्ट जाएंगे किसान: किसानों का कहना है कि इस पूरे मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही है। दूसरी ओर इस घोटाले में संलिप्त लोग हमें परेशान कर रहे हैं। शिकायत करने वाले किसानों को जान से मारने की धमकी दी जा रही है। हमें लगता है कि प्राधिकरण के सारे अफसर इस घोटाले में संलिप्त हैं। लिहाजा, हमने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने का फैसला लिया है। इसके लिए गौतमबुद्ध नगर विकास समिति हमारी मदद करेगी। विकास समिति के साथ शनिवार को किसान बैठक करेंगे। जांच समिति के अध्यक्ष सौम्य श्रीवास्तव का कहना है कि जांच जल्दी पूरी होगी। दो दिन बाद 6 अक्टूबर को जांच समिति बैठक करेगी। शिकायत करने वाले किसानों से बात करेंगे।

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