Bhilwara। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की घुमंतू गतिविधियों के तहत श्री केशव स्मृति सेवा प्रन्यास की ओर से गुरु श्री कनीफनाथ घुमंतू समाज छात्रावास का वार्षिकोत्सव अरुणोदय शुक्रवार को मनाया गया। सचिव रवींद्र मानसिंहका व कोषाध्यक्ष गोविंद प्रसाद सोडानी ने बताया कि वार्षिकोत्सव अरुणोदय 2025 अंबेडकर नगर डालडा मिल के सामने आदर्श विद्या मंदिर में हनुमंत धाम के महन्त रामदास रामायणी के सानिध्य, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय घुमंतू कार्य प्रमुख दुर्गादास भाई के मुख्य वक्ततत्व, विधायक अशोक कोठारी, घूमन्तु जाति चित्तोड़ प्रांत संयोजक प्रभूलाल कालबेलिया, संघ विभाग संचालक चांदमल सोमानी के मुख्य आतिथ्य में मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता लघु उद्योग भारती महिला इकाई की अध्यक्ष पल्लवी लढ़ा ने की। इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय घुमंतू कार्य प्रमुख दुर्गादास भाई ने घुमंतू समाज की परिस्थितियों का वर्णन करते हुए बताया कि यह वह समाज है जिसने आजादी के आंदोलन में बढ़-चढ़कर के भाग लिया तथा प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों का भरपूर विरोध किए जाने के कारण भजन का शिकार बनना पड़ा जिससे घर बार छोड़कर जंगलों में शेरों के बाहर सुनसान स्थान पर परिवार सहित आश्रय लेना पड़ा। यह समाज प्रारंभ से ही धर्म परायण पुरुषार्थ रहा है।
देश की व्यापार व्यवस्था पर इस समाज का का बहुत योगदान रहा है। यह समाज कला संस्कृति पशुपालन जैसे कार्यों में रत रहते हुए अपना जीवन यापन सादगी एवं संजीत की के साथ करता रहा है। देश प्रेम इनके रग रग में बसा हुआ है। महाराणा प्रताप के समय इन्होंने जो प्रतिज्ञा की थी उसका निर्वहन लंबे समय तक करते रहे। आज भी उनकी स्थिति बहुत विकट है आधारभूत सुविधाओं का अभाव है इसलिए समाज जनों का दायित्व बनता है कि वह इन्हें गले लगाए इन्हें सम्मान दें इनके दुख दर्द में सहयोग प्रदान करें। उनकी शिक्षा व्यापार सामान्य जीवन यापन में हर संभव मदद करें। यहां संचालित यह छात्रावास इसी प्रकार का एक प्रयास है ताकि आने वाली पीढ़ी संस्कृत शिक्षित एवं योग्य बनकर देश समाज में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान कर सके इस काम में जिसे भी जो सहयोग बन पड़ता है वह अवश्य करना चाहिए यह हमारा दायित्व भी है। उन्होंने कहा कि आत्मविश्वास के साथ यदि कोई काम करते हैं निश्चित रूप से सफलता मिलती है। जहाँ आज इन सामान्य वर्ग के बच्चे जो घूमन्तु जाति के है कोई बंजारा, कोई सपेरा, कालबेलिया उनके बालकों ने आत्मशक्ति के साथ संवाद बोलना, बांसुरी बजाना, खेलकूद व सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ विद्या अध्ययनन इनका सहज़ कार्य रहा। इसके लिए संचालन समिति साधुवाद की पात्र है।
भारत का इतिहास एक हजार वर्ष तक का देखा जाए तो घूमन्तु जातियों का स्वतंत्रता सेनानियों में घूमन्तु जाति का बहुत बड़ा योगदान रहा। उन्हें अपनी अलग अलग जरूरतों को पुरा करने के लिए धर्म स्थान, पशु स्थान, चिकित्सा स्थान पर अपनी कलाकारी दिखाई है। वर्तमान में राजस्थान में 17 जगहों पर छात्रावास चालु है। डूंगरगढ़ में बेटियों के लिए भी छात्रावास है। भीलवाड़ा में 28 बालकों ने 6 माह में बहुत कुछ सीखकर के सराहनीय कार्य किया। कार्यक्रम में अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम व राम आएंगे गीत का वेणु माध्यम से मंचन किया। अंग्रेजी का नाटक मंचन किया। देशभक्ति गीत पेश किए। गुरूजी कानिफनाथ जी का नाटक हुआ। हनुमान चालीसा का पाठ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पल्ल्वी लढ़ा ने कहा कि छात्रों में इस तरह की प्रतिभा को निखारने की जरूरत है।
संत रामदास रामायणी ने कहा कि छात्रावास संचालन में सहयोग कर रहे केशव स्मृति सेवा प्रन्यास साधूवाद की पात्र है। विभाग संचालक चाँदमल सोमानी, प्रभूलाल कालबेलिया, घूमन्तु जाति के प्रांतीय संयोजक और सचिव रविंद्र मानसिंहका ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। गणेश सुथार ने स्वागत उदबोधन दिया। दारासिंह, भगवान सिंह, शिखा अग्रवाल, हरिराम, रामावतार का योगदान रहा। श्री गुरु कानिफनाथ घुमंतू जाति छात्रावास के अध्यक्ष गणेश सुथार एवं सचिव विशाल गुरुजी ने बताया कि इस मौके पर सुभाष चंद्र बहेड़िया, लक्ष्मीनारायण डाड, कालूलाल गुर्जर, रामपाल कैलाश सोनी, गोपाल लाल, गोविन्द प्रसाद सोडानी, अनुज सोमानी, रमेश खोईवाल, राजेंद्र ओस्तवाल, डूंगर सिंह गाडूलिया, सुखवाल इलेक्ट्रीक आदि भामाशाओं एवं पिछले दो वर्षों में सहयोग करने वाले सभी लोगों को सम्मानित किया गया।