जयपुर। प्रदेश में छोटे-बड़े बांधों और एनीकट की कुल जल संग्रहण क्षमता 12,580.03 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) के मुकाबले अब तक 7,512.03 एमसीएम (59.71 प्रतिशत) जल संग्रहण हो चुका है। 18 जुलाई तक 288.55 एमएम वर्षा हो चुकी है जो कि इस समय तक होने वाली औसत 167 एमएम बारिश से 72 प्रतिशत अधिक है। माउंट आबू में इस वर्ष की सर्वाधिक 1418 एमएम वर्षा रिकॉर्ड की गई है। मानसून की एक दिन में अधिकतम 530 एमएम बारिश पाली जिले के मुथाना में हुई। प्रदेश के कुल 690 बांधों में से 114 बांध या तो पूरी तरह से भर चुके हैं या ओवरफ्लो हो रहे हैं, 278 बांध ऐसे हैं जिनमें 4.25 एमसीएम से अधिक पानी की आवक हो चुकी है।
यह जानकारी अतिरिक्त मुख्य सचिव जल संसाधन और आईजीएनपी डॉ. सुबोध अग्रवाल की अध्यक्षता में शुक्रवार को इंदिरा गांधी नहर परियोजना की बिल्डिंग के कॉन्फ्रेंस हॉल में हुई समीक्षा बैठक में दी गई है। बैठक में बाढ़ की तैयारियों के बारेमें बताया गया कि सभी 33 जिलों एवं 54 प्रमुख बांधों पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित हैं। घग्घर के पानी का कर रहे डायवर्जन उन्होंने बताया कि घग्घर नदी कैचमेंट एरिया में अत्यधिक वर्षा के कारण पानी की अधिकता को देखते हुए हनुमानगढ़ से निकलने वाली नाली बेड, घग्घर डायवर्जन एवं इंदिरा गांधी नहर फीडर में आनुपातिक जल प्रवाह किया जा रहा है। प्रदेश भर में बाढ़ की किसी भी स्थिति से निपटने के लिए जल संसाधन विभाग ने सभी आवश्यक तैयारियां कर ली हैं।
सभी विभागों में समन्वय जरूरी
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने सिंचाई विभाग, पुलिस, जिला प्रशासन एवं आपदा नियंत्रण विभाग सहित स्थानीय निकायों से समन्वय स्थापित करने को कहा और मुख्य अभियंता (उत्तर) जल संसाधन, हनुमानगढ़ अमरजीत सिंह को फील्ड में रहकर पर्याप्त मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए। उन्होंने कोटा, उदयपुर, बांसवाड़ा एवं अन्य संभागों में बांधों में अचानक पानी की आवक एवं बाढ़ की स्थिति में राहत एवं बचाव की समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए। सभी मुख्य अभियंताओं को कहा कि किसी भी तरह के संसाधनों की आवश्यकता होने पर मुख्यालय को तुरंत अवगत कराएं।