Bhilwaraभीलवाड़ा। विधायक अशोक कोठारी के कार्यालय पर अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाया गया। निर्वाचन के प्रथम वर्ष पूर्ण होने एवं अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर विधायक कोष से 55 दिव्यांगों को अतिशीघ्र स्कूटीयां मिलेगी। मीडिया प्रभारी पंकज आडवाणी ने बताया कि, आज मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के उपलक्ष्य में कार्यालय पर विधायक अशोक कोठारी के अध्यक्षता व शिक्षाविद डॉ. देवेंद्र कुमावत, भाजपा पूर्व जिला महामंत्री प्रदीप सांखला, युवा मोर्चा के शुभाष सोनी के विशिष्ट आतिथ्य में बड़ी संख्या में दिव्यांगजनो व दिव्यांग विधानसभा संयोजक पवन लोढ़ा, सहसंयोजक अभिषेक जैन, सदस्य ओमप्रकाश दमामी, सोनिया जाजू, ऋषि लोढ़ा, अशोक टेलर का स्वागत कर तिलक लगाकर, उपरना पहनाकर स्वागत अभिनंदन किया गया। सर्वप्रथम भारत माता की चित्र पर मालार्पण कर विधायक अशोक कोठारी व अतिथियों द्वारा शुभारंभ किया।
कोठारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि 3 दिसम्बर को प्रति वर्ष अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाया जाता है। विकलांगता कोई अभिशाप नहीं है, इसी भावना को ध्यान में रखते हुए हमारे यशश्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2015 में मन की बात कार्यक्रम में विकलांग भाइयों को नया नाम दिया जिसको दिव्यांग शब्द से संबोधन करने हेतु कहा गया। हमारा मानना है कि विकलांग व्यक्ति अपने आप को कमजोर नहीं समझें क्योंकि परमात्मा अगर कोई कमी देता है तो उसकी भरपाई हेतु वह कुछ अतिरिक्त योग्यता ही देता है। विकलांगता शारीरिक से ज्यादा मानसिक स्तर पर व्यक्ति को प्रभावित करती है। हमारे सामने अरुणिमा सिह्ना का उदाहरण है, जिन्होंने दिव्यांग रहते हुए वर्ष 2013 में दुनिया की सबसे ऊँची चोटी माउण्ट ऐवरेस्ट को फतह किया, जिन्होंने रेल दुर्घटना में एक पाँव बिलकुल गंवा दिया था, फिर भी उन्होंने मनोबल की शक्ति के सामने अपनी दिव्यांगता को बौना साबित कर दिया।
प्रसिद्ध डॉ. सत्येन्द्र सिंह को नहीं भूल सकते जिन्होने 9 माह की अल्प आयु में पोलियो से ग्रस्त होने के बाद भी दिव्यांगों के लिए लड़ाई लड़ी और आज उन्हीं की मेहनत का ही परिणाम है कि एटीएम में रेम्प बनाकर विकलांग अनुकूल बनाया गया है। सुधा चन्द्रा जो कि एक प्रसिद्ध नृत्यांगना है जिनके 5 वर्ष की अल्पायु से ही भरतनाट्यम में पूरे विश्व में भारत का सम्मान बढ़ाया है। रविन्द्र जैन प्रसिद्ध संगीतकार जिन्होने रामायण धारावाहिक में संगीत दिया है। उनकी बचपन से ही आँखों की की रोशनी नहीं थी। राजनीति के क्षेत्र में इतनी व्यस्तता और भागदौड़ रहती है वहाँ भी हमारे साथी अजित जोगी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे हैं जिन्होने 2004 में दुर्घटना के कारण अपनी विकलांगता को कभी आड़े नहीं आने दिया और 1 सफल मुख्यमंत्री बन कर रहे। डॉ. सुरेश आडवाणी को दिव्यांग होते हुए भी भारत के फेमस केंसर स्पेशलिस्ट में गिना जाता है। पैरा ओलम्पिक गोल्ड मेडलिस्ट देवेन्द्र झाझरिया दिव्यांग होते हुए झुंझनू से भाजपा की ओर से चुनाव लड़ा है। मेरा मानना है कि अगर आप मानसिक रूप से मजबूत है तो शारीरिक कमजोरी आपके आड़े नहीं आयेगी। इस मौके पर डॉ. कुमावत व सांखला ने भी संबोधित किया।