विधायक भरत सिंह सहित मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व समिति के सदस्यों ने एडवाइजरी बैठक का किया बहिष्कार

विधायक भरत सिंह वन एवं पर्यावरण के मुद्दों पर हमेशा मुखर होकर बोलते हैं. वे मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व समिति के सदस्य भी हैं. सांगोद विधायक ने मुकुंदरा टाइगर रिजर्व से जुड़े मुददों और इसकी समिति को अनेदखा किए जाने के बारे में वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम विश्नोई को पत्र लिख अवगत कराया.

Update: 2021-11-15 14:35 GMT

जनता से रिश्ता। विधायक भरत सिंह वन एवं पर्यावरण के मुद्दों पर हमेशा मुखर होकर बोलते हैं. वे मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व समिति के सदस्य भी हैं. सांगोद विधायक ने मुकुंदरा टाइगर रिजर्व से जुड़े मुददों और इसकी समिति को अनेदखा किए जाने के बारे में वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम विश्नोई को पत्र लिख अवगत कराया. उन्होंने समिति की सोमवार को आयोजित बैठक का बहिष्कार करने की जानकारी भी दी.

विधायक ने अपने पत्र में लिखा कि संभागीय आयुक्त कोटा की अध्यक्षता में आयोजित मुकुंदरा टाइगर रिजर्व समिति की बैठक सोमवार को सीआईडी ऑफिस में बुलवाई गई थी. लंबे समय बाद हुई इस बैठक में किसी भी जिला कलेक्टर व प्रधान मुख्य वाईल्ड लाईफ वार्डन जयपुर ने भाग लेना उचित नहीं समझा. बैठक औपचारिकता मात्र बनकर रह गई. साथ ही लिखा कि वर्ष 2013 में मुकुंदरा टाइगर रिजर्व घोषित किया था. यह देश का एकमात्र ऐसा टाइगर रिजर्व है जिसमें एक भी टाइगर नहीं है.
उन्होंने पत्र में जानकारी दी कि आधे से ज्यादा वन कर्मचारी व अधिकारियों के पद रिक्त हैं. समय-समय पर शिकार की घटना इस पार्क में होती रही है. सरकार के जयपुर में बैठने वाले उच्च अधिकारी इस पार्क को देखने नहीं आते हैं. मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के लोकल एडवाइजरी कमेटी के सदस्यों को जानबूझकर इसकी सूचना नहीं देते. हाल ही में सरकारी खर्च पर 3 दिन तक वाइल्ड लाइफ विभाग के 40 डीसीएफ स्तर के अधिकारियों ने कोटा में प्रशिक्षण प्राप्त किया. टाइगर रिजर्व का भ्रमण भी किया. लेकिन वन विभाग ने लोकल एडवाइजरी समिति के सदस्यों से चर्चा करना भी उचित नहीं समझा. जिससे यह साबित होता है कि यह समिति सरकार द्वारा खानापूर्ति करने के लिए बनाई गई है.
उन्होंने आगे लिखा कि बैठक में भाग लेने आए समिति सदस्य सुरेश शर्मा, धुलेट, गीता दाधीच, तपेश्वर भाटी, डॉक्टर फातिमा सुल्ताना, निखलेस सेठी, पूर्व सरपंच कुशल पाल सिंह व सांगोद विधायक भरत सिंह ने बहिष्कार किया. साथ ही वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम विश्नोई को पत्र लिखकर इस पर गंभीरता से चिंतन कर कोटा के हालात समझने के बारे में बताया.


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