Jaipur: मुख्यमंत्री के कुशल नेतृत्व में प्रदेश सरकार पशुओं के कल्याण के प्रति समर्पित

Update: 2025-02-12 11:29 GMT
Jaipur जयपुर  । पशुपालन, गोपालन और डेयरी मंत्री श्री जोराराम कुमावत ने बुधवार को राजस्थान पशुधन विकास बोर्ड के सभागार में राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत 13 जिलों में तरल नत्रजन भंडारण हेतु 3000 लीटर के साइलो का वर्चुअल लोकार्पण किया। उन्होंने बताया कि तरल नत्रजन पशु नस्ल सुधार के लिए किए जाने वाले कृत्रिम गर्भाधान में काम आता है। तरल नत्रजन की भण्डारण व्यवस्था को सुदृढ़ बनाए रखने के लिए राज्य के 16 जिलों में 3- 3 हजार लीटर क्षमता के वर्टिकल साइलो पूर्व में स्थापित हो चुके हैं। इस तरह अब राज्य के 29 जिलों में वर्टिकल साइलो की स्थापना हो जाने से तरल नत्रजन भंडारण की कुल क्षमता 93 हजार लीटर हो गई है। जयपुर और उदयपुर के साइलो की क्षमता 6-6 हजार लीटर की है।
वर्चुअल लोकार्पण के बाद श्री कुमावत ने वीसी से जुड़े जिलों के पशु चिकित्सा अधिकारियों से बात की और साइलो की कार्यप्रणाली को समझा। उन्होंने जिलों के अधिकारियों का मनोबल बढ़ाते हुए कहा कि सरकार पशुपालकों और पशुओं के हित के लिए उनकी सभी मांगों पर गंभीरता से विचार करेगी। उन्होंने कहा कि कृत्रिम गर्भाधान के लिए आवश्यक सभी सुविधाएं जिलों में पहुंचा दी गईं हैं। अब राजस्थान को इस क्षेत्र में पहले नंबर पर लाना विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के ऊपर निर्भर करता है।
इस अवसर पर पशुपालन मंत्री ने जयपुर जिले के मैत्री कार्यकर्ताओं को ए आई किट का वितरण भी किया। उन्होंने मैत्री कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे पूरी निष्ठा और मेहनत से काम करें और कृत्रिम गर्भाधान में राजस्थान को देश में पहला स्थान दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं।
बाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के संवेदनशील मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के कुशल नेतृत्व में प्रदेश सरकार पशुओं के कल्याण के प्रति समर्पित होकर काम कर रही है। श्री कुमावत ने कहा कि आज अधिकतर जिलों में तरल नत्रजन की भंडारण व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए वर्टिकल साइलो की स्थापना हो चुकी है। बाकी बचे जिलों में भी हम जल्द ही यह व्यवस्था सुनिश्चित कर देंगे। उन्होंने कहा कि इन जिलों में साइलो की स्थापना होने से समय, ऊर्जा, मानव श्रम और पैसे इन सबकी बचत तो होगी ही साथ ही अवश्यकतानुसार तरल नाइट्रोजन की सही समय पर गुणवत्तापूर्ण उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी जिससे कृत्रिम गर्भाधान के काम में गति आएगी। उन्होंने कहा कि पहले एक जिले से दूसरे जिले तक नाइट्रोजन की आपूर्ति में जार भी खराब होते थे अब उस समस्या से भी विभाग को निजात मिलेगी।
श्री कुमावत ने बताया कि आज ही के दिन जैसलमेर में कृत्रिम गर्भाधान कवरेज को बढ़ाने के उद्देश्य से मिशन उत्कर्ष जैसलमेर की शुरुआत भी की गई है। विस्तृत भौगोलिक परिस्थितियों और मानव श्रम की कमी के कारण जिले में योजनाओं की क्रियान्विति में समस्या आती है इसीलिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जैसलमेर जिले का चयन किया है और जिले में कृत्रिम गर्भाधान के लिए 484. 85 लाख रुपये के विशेष बजट के साथ मिशन उत्कर्ष जैसलमेर परियोजना लागू की गई है।
इस अवसर पर शासन सचिव पशुपालन, गोपालन और मत्स्य डॉ. समित शर्मा ने कहा कि आज दौसा, टोंक, बाड़मेर, सवाईमाधोपुर, बारां, जैसलमेर, जालोर, प्रतापगढ़, राजसमंद, डूंगरपुर, चित्तौड़गढ़, श्रीगंगानगर और चुरू जिलों में 218 लाख रुपये के नवीन वर्टिकल साइलो का लोकार्पण किया गया। 5 अन्य जिलों धौलपुर, सिरोही, झालावाड़, बून्दी और कुचामनसिटी में 3 हजार लीटर की क्षमता वाले साइलो की स्थापना आने वाले दिनों में भारत सरकार से बजट प्राप्त होने पर कर दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि आर एल डी बी ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत 73.25 लाख की लागत से 629 मैत्री कार्यकर्ताओं तथा 1687 विभागीय संस्थाओं को ए आई किट उपलब्ध कराया है। डॉ शर्मा ने कहा कि कृत्रिम गर्भाधान कार्य की गुणवत्ता में ए आई किट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस किट में ए आई गन, सीजर, एप्रेन, फॉरसेप, डीप- स्टिक, थर्मामीटर सहित कृत्रिम गर्भाधन में काम आने वाली सामग्री होती है। राज्य में पहली बार इस किट में इलेक्ट्रिक कैटल तथा क्रायोजार बैग को भी शामिल किया गया है। भविष्य में चरणबद्ध रूप से प्रदेश में 5000 अतिरिक्त ए आई किट उपलब्ध कराए जाएंगे जिस पर 150 लाख रुपये की लागत आएगी। डॉ शर्मा ने कहा कि मिशन उत्कर्ष जैसलमेर परियोजना के अंतर्गत 50 मैत्री कार्यकर्ता को भी कार्य आधारित मानदेय पर चयनित किया गया है।
इस अवसर पर राजस्थान पशुधन विकास बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा पशुपालन निदेशक डॉ. आनंद सेजरा, पशुपालन विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ सुरेशचंद मीना सहित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारीगण मौजूद थे।
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