Jaipur जयपुर । विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति विश्व गुरू भारत के निर्माण में आदर्श बदलावों का परिचायक है। भारत में शिक्षा का ढांचा वृहद और समृद्ध है। भारतीय संविधान के 22 भागों में उल्लेखित चित्रों के अनुरूप संकल्पना को राष्ट्रीय शिक्षा नीति में समावेश किये जाने का प्रयास किया गया है। यह नीति लोगों को भारतीय होने के गर्व की अनुभूति करायेगी, साथ ही युवाओं में विश्लेषण क्षमता का विकास भी करेगी। इस नीति से राष्ट्र के विश्वविद्यालय बहु- विषयक बन सकेंगे।
विधानसभा अध्यक्ष श्री देवनानी ने सोमवार को जयपुर में मानसरोवर स्थित भारतीय समाज विज्ञान अनुसंधान परिषद के तत्वावधान में अपेक्स विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 स्वीकरण एवं क्रियान्वयन विषयक सेमिनार का दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारम्भ करने के बाद यह बात कही।
विद्यार्थी शिक्षा यात्रा में ब्रेक ले सकेंगे - श्री देवनानी ने कहा कि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति युग की बातों को देशानुकूल और देश की बातों को युगानुकूल बनाने का आधार है। इस शिक्षा नीति में आधुनिक विश्व की आवश्यकताओ को भी शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बाद विद्यार्थी शिक्षा यात्रा में ब्रेक ले सकेंगे।
जीवन स्तर को ऊँचा उठाने वाले शोध होंगे - श्री देवनानी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का सफल क्रियान्वयन होने के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की 2047 तक विकसित भारत की संकल्पना साकार हो सकेगी। इस नीति के तहत अब शोध एवं अनुसंधान पर विशेष बल दिया जाएगा। इस नीति के तहत होने वाले शोध और अनुसंधान जीवन स्तर को ऊँचा उठाने में सहभागी बनेंगे। साथ ही परीक्षा प्रणाली पर नये सिरे से चर्चा होगी। इसमें सतत् मूल्यांकन को आधार बनाया गया है। आई.टी.आई, डिप्लोमा और डिग्री को एक साथ जोडे जाने पर भी विचार किया जा रहा है।
विश्वविद्यालयों के लिए मानक तय होंगे - श्री देवनानी ने कहा कि इस नीति के तहत विश्वविद्यालयों के लिए मानक तय किये जायेंगे। इससे विश्वविद्यालय की स्वायत्ता प्रभावित नहीं होगी लेकिन शिक्षा में गुणवत्ता को बढ़ाये जाने वाले और अधिक से अधिक लोगों को शिक्षा से जोडने और शिक्षा व्यवस्था में सुविधाएं बनाये रखने के लिए आवश्यक मापदंड के मानक तय किये जायेंगे।
श्रेष्ठ नागरिक बनाने वाली होगी शिक्षा - श्री देवनानी ने कहा कि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय नागरिकों को श्रेष्ठ नागरिक बनाने वाली होगी। इसमें प्रायोगिक शिक्षा पर विशेष बल दिया गया है। साथ ही भावनात्मक, विश्लेषणात्मक शिक्षा के विभिन्न बिन्दुओं का समावेश होगा। यह शिक्षा नीति भारत के विद्यार्थी को त्याग और समर्पण सिखाने वाली होगी। इसमें अध्ययन, अध्यापन के प्रशिक्षण के विभिन्न बिन्दु भी होंगे जिनसे अध्यापकगण महापुरूषों के जीवन का विवेचन युवाओं को समझा सकेंगे।
रोजगार देने वाली शिक्षा की जरूरत - श्री देवनानी ने कहा है कि भविष्य के मध्यनजर अब रोजगार देने वाली शिक्षा की आवश्यकता है। इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति में रोजगार देने वाली शिक्षा के सभी पहलुओं का समावेश किया गया है ताकि युवा मानव जीवन के लिए व्यावहारिक हो सके, वह जीवन मूल्यों को समझ सके तथा उनमें राष्ट्र प्रथम की भावना का समावेश हो सके।
सेमिनार में महात्मा गांधी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति श्री संजीव शर्मा ने कहा कि इस नीति में समाज के सभी वर्गों की टिप्पणियों का समावेश किया गया है। इस नीति का सभी लोगों ने स्वागत किया है। इससे कला, कौशल, नैतिकता से परिपूर्ण नई पीढ़ी तैयार होगी। समारोह में अपेक्स विश्वविद्यालय के चैयरमेन श्री रवि जूनीवाल, कुलपति श्री सोमदेव शतांशु, श्री राकेश प्रेमी और श्री दुर्गादास सहित अनेक गणमान्य नागरिकगण मौजूद थे।