Rajasthan में 820 करोड़ रुपये की लागत से भारत का पहला समर्पित रेलवे टेस्ट ट्रैक बनाया जा रहा

Update: 2024-11-09 12:26 GMT
Nave नावा : राजस्थान में रोलिंग स्टॉक के परीक्षण की सुविधा विकसित करने के लिए एक समर्पित रेलवे परीक्षण ट्रैक का निर्माण किया जा रहा है। यह ट्रैक दिसंबर 2025 तक पूरा हो जाएगा। राजस्थान में देश का पहला ट्रेन ट्रायल ट्रैक लगभग तैयार हो गया है। 60 किलोमीटर लंबा यह ट्रैक पूरी तरह सीधा नहीं है बल्कि इसमें कई घुमावदार प्वाइंट बनाए गए हैं। इससे इस बात का ट्रायल लिया जा सकेगा कि स्पीड से आ रही ट्रेन बिना स्पीड कम किए घुमावदार ट्रैक पर कैसे गुजरेगी। इन कर्व्स में कुछ कर्व कम स्पीड के लिए तो कुछ ज्यादा स्पीड के लिए बनाए गए हैं। पहले चरण के पूरा होने के बाद बुलेट ट्रेनों का 230 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भी परीक्षण किया जा सकेगा। देश के पहले डेडिकेटेड टेस्ट ट्रैक की स्थापना से देश में हाई-स्पीड रोलिंग स्टॉक वस्तुओं के परीक्षण में नए आयाम स्थापित होंगे रोलिंग स्टॉक का उपयोग करने से पहले उसका व्यापक और गहन परीक्षण करना जरूरी होता है, तभी वह सुरक्षा की कसौटी पर खरा उतर सकता है।
डेडिकेटेड टेस्ट ट्रैक के जरिए रेलवे संसाधनों का व्यापक उपयोग कर सकेगा और सुरक्षा में काफी इजाफा होगा। देश में हाई स्पीड रोलिंग स्टॉक के व्यापक परीक्षण के लिए भारतीय रेलवे राजस्थान के डीडवाना जिले के जोधपुर मंडल के नावां में गुढ़ा-थाठाना मीठड़ी के बीच 60 किलोमीटर का देश का पहला आरडीएसओ डेडिकेटेड टेस्ट ट्रैक विकसित कर रहा है । यह रेलवे ट्रैक जयपुर से करीब 80 किलोमीटर दूर सांभर झील के बीच से निकाला गया है। आरडीएसओ डेडिकेटेड टेस्ट ट्रैक का काम दो चरणों में स्वीकृत हुआ है। फेज 1 का काम दिसंबर 2018 में और फेज 2 का काम नवंबर 2021 में स्वीकृत हुआ था |
समर्पित परीक्षण ट्रैक के निर्माण में सात बड़े पुल, 129 छोटे पुल और चार स्टेशन (गुढ़ा, जाबदीनगर, नावां और मीठड़ी) शामिल हैं। इस परियोजना के तहत 27 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है और पूरा काम दिसंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस परियोजना के तहत हाई-स्पीड रोलिंग स्टॉक और गति परीक्षण, स्थिरता, सुरक्षा मापदंडों, दुर्घटना प्रतिरोध, रोलिंग स्टॉक की गुणवत्ता आदि सहित वस्तुओं की व्यापक परीक्षण सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। इस समर्पित परीक्षण ट्रैक में ट्रैक सामग्री, पुल, टीआरडी उपकरण, सिग्नलिंग गियर और भू-तकनीकी अध्ययन का परीक्षण भी शामिल है। ट्रैक पर पुल, अंडर ब्रिज और ओवर ब्रिज जैसी अलग-अलग संरचनाएं बनाई गई हैं। इस ट्रैक पर आरसीसी और स्टील के पुल बनाए गए हैं जो जमीन के नीचे और ऊपर हैं। इन पुलों को कंपन प्रतिरोधी बनाने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है सांभर का वातावरण क्षारीय होने से स्टील में जंग नहीं लगेगी। साथ ही हाईस्पीड ट्रेन का कंपन भी कम किया जा सकेगा। इन संरचनाओं से बुलेट ट्रेन गुजार कर गति की जांच की जाएगी। यह देश का पहला डेडिकेटेड ट्रैक होगा, जहां पड़ोसी देश भी अपनी ट्रेनों की टेस्टिंग करा सकेंगे।
भारत में बने कोच, इंजन और ट्रेन रैक के ट्रायल के लिए रेलवे के पास कोई डेडिकेटेड लाइन नहीं थी। सभी लाइनों पर ट्रैफिक काफी रहता है। ऐसे में ट्रायल के लिए कई ट्रेनों के शेड्यूल में बदलाव करना पड़ता है। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि भविष्य में यहां सिर्फ बुलेट ट्रेन ही नहीं बल्कि हाईस्पीड, सेमी हाईस्पीड ट्रेन और मेट्रो ट्रेनों का भी परीक्षण किया जाएगा। इस ट्रैक पर हाईस्पीड, सेमीस्पीड और मेट्रो ट्रेनों का भी परीक्षण किया जा सकेगा। रेलवे की आरडीएसओ यानी रिसोर्स डिजाइन स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन की टीम ट्रायल की मॉनिटरिंग करेगी। रेलवे की यही टीम कोच, बोगी और इंजन की फिटनेस की जांच करती है। किसी भी कोच या इंजन को ट्रैक पर उतारने से पहले रेलवे हर पैरामीटर की जांच करता है कि कहीं तय गति से ज्यादा कंपन तो नहीं होगा। खराब ट्रैक पर ट्रेन का रिस्पॉन्स आदि भी चेक किया जाएगा। हाई-स्पीड डेडिकेटेड रेलवे ट्रैक 60 किमी लंबा है, लेकिन मेन लाइन 23 किमी लंबी है। इसमें गुढ़ा में 13 किमी लंबा हाई-स्पीड
लूप है।
लूप का इस्तेमाल रेलवे में क्रॉसिंग पार करने या विपरीत दिशाओं से आने वाली दो ट्रेनों को बिना किसी रुकावट के पास कराने के लिए किया जाता है। इसके अलावा नावा में 3 किमी का क्विक टेस्टिंग लूप बनाया गया है।स्टेशन और मीठड़ी में 20 किलोमीटर का कर्व टेस्टिंग लूप बनाया गया है। ये लूप अलग-अलग डिग्री के कर्व पर बनाए गए हैं। खराब ट्रैक पर ट्रेन डगमगाने लगती है और झटके लगने लगते हैं। अगर ट्रैक खराब हो जाता है तो ट्रेन की स्पीड कितनी होनी चाहिए और इसका क्या असर होगा, इसकी जांच की जाएगी। इसके लिए 7 किलोमीटर लंबा घुमावदार ट्रैक बिछाया गया है। (एएनआई)
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