रेजिडेंट डॉक्टर्स का अस्पतालों में बॉन्ड नीति के विरोध में पूर्णतया कार्य बहिष्कार
जयपुर न्यूज़: बॉन्ड नीति सहित अन्य नीतियों के विरोध में एक बार फिर से रेजिडेंट डॉक्टर्स ने पूर्णतया कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है। ऐसे में मौसमी बीमारियों के प्रकोप के बीच मरीजों की परेशानी बढना तय है। जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स के आह्वान पर एसएमएस मेडिकल कॉलेज से जुड़े रेजिडेंट डॉक्टरों ने कार्य बहिष्कार का ऐलान किया हैं। इससे एसएमएस मेडिकल कॉलेज से जुड़े व अन्य अस्पतालों में कार्य प्रभावित हो रहा है। हालांकि आपताकालीन सेवाओं में चिकित्सकों की सेवाएं जारी हैं। वही मांगो को लेकर रेजिडेंट्स ने मेडिकल कॉलेज से त्रिमूर्ति सर्किल तक नारेबाजी करते हुए रैली भी निकाली।
रेजिडेंट चिकित्सकों का कहना है कार्य बहिष्कार में आइसीयू और इमरजेंसी सेवाएं प्रभावित नहीं रहेगी। इस बहिष्कार से वार्ड में और ओपीडी सेवाएं प्रभावित हुई हैं। वहीं ओपीडी में आने वाले मरीजों को जहाँ इलाज़ के लिए भटकना पड़ रहा है वहीं मरीजों की संख्या के मुकाबले ड्यूटी संभाल रहे सीनियर डॉक्टरों की संख्या ऊँट के मुंह में जीरे के समान साबित हो रही है। वार्डों में भी मरीजों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। वहीं जार्ड के अध्यक्ष डॉ.नीरज डामोर ने बताया कि डॉक्टर्स की प्राथमिकता रहेगी कि मरीजों को परेशानी नहीं हो, इसलिए आइसीयू और इमरजेंसी में रेजिडेंट्स काम करते रहेंगे। वहीं जब तक सरकार का कोई प्रतिनिमंडल हमारे से बात नहीं करता है तब तक यह बहिष्कार जारी रहेगा।
इसलिए किया कार्य बहिष्कार: बीते तीन दिनों से सरकार की बॉन्ड नीति के विरोध में अस्पतालों में कार्यरत रेजिडेंट्स चिकित्कस काली पट्टी बांधकर विरोध जता रहे थे। रेजिडेंट्स का आरोप है कि अब तक सरकार का कोई प्रतिनिधि बातचीत के लिए नहीं आया है। चिकित्सकों ने आरोप लगाए है कि राज्य सरकार की बॉन्ड नीति अत्यंत जल्दबाजी अपारदर्शिता के साथ एवं अपरिपक्व तरीके से लाई गई है। सरकार द्वारा बॉन्ड नीति की विज्ञप्ति निकाले जाने के बाद भी राजस्थान के सभी मेडिकल कॉलेज में अभ्यर्थियों का बिना किसी पारदर्शी प्रक्रिया के एसआर के पदों पर नियुक्त हो जाना, भ्रष्टाचार और धांधली है। डॉक्टर्स ने मांग की है कि इस बॉन्ड नीति में रेजिडेंट चिकित्सकों को समान अवसर प्रदान किए जाए और नीति की विसंगतियों को दूर करने एवं रुपरेखा तैयार करने के लिए एक कमेटी गठित हो।