स्वस्थ मनाेरंजन की आवश्यकता काे पूरी करता है भर्तृहरि नाटक: न्यायाधीश अशाेक
राजर्षि अभय समाज थिएटर में शुक्रवार की रात पारसी शैली पर आधारित महाराजा भर्तृहरि नाटक की शुरुआत हुई। यह नाटक 22 अक्टूबर तक प्रतिदिन चलेगा। नाटक का मंचन रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक किया जाएगा। पटाखों की तेज आवाज होती है। थिएटर का पर्दा हटते ही महाराजा भर्तृहरि के नाटक का मंचन शुरू हो जाता है। भाेले नाथ से निराला काेई ओर नहीं.... प्रार्थना हाेती है।
गाेरखनाथ गुरु मछंदरनाथ के चरणाें प्रमाण करते हुए कहते हैं यह आसन काफी समय से खाली क्याें है? गुरु मछंदरनाथ गाेरख नाथ से कहते हैं अब यह आसन भरने का समय आ गया है। उज्जैन के महाराजा भर्तृहरि महारानी पिंगला के माेह जाल में फंस गए हैं।
तुम उज्जैन जाकर अपने गुरु भाई महाराजा भर्तृहरि काे वैराग्य की दीक्षा लेकर ले आओ। तभी यह आसन भरेगा। वहां पिंगला से सावधानी बरतने की जरुरत है। गुरु आज्ञा का पालन करते हुए गाेरखनाथ महाराजा भर्तृहरि काे वैराग्य की दीक्षा देने के लिए अपने साथियाें के साथ उज्जैन के लिए निकल पड़ते हैं। नाटक का प्रथम भाग नीति शतक पर आधारित है। जिसमें महाराजा भर्तृहरि की अपनी प्रजा के न्याय प्रियता काे दर्शाया गया है।
नाटक का दूसरा भाग श्रृंगारशतक पर आधारित है। जिसमें कहा जाता है कि महाराजा भर्तृहरि अपनी रानी पिंगला के जाल में पड़ जाते हैं। नाटक का तीसरा और अंतिम भाग वैराग्य पर आधारित है। जिसमें महाराजा भर्तृहरि अपना राज्य छोड़कर साधु बन जाते हैं।
अलवर के समाधि लेने के साथ नाटक का अंत होता है। इससे पूर्व मुख्य अतिथि राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अशोक गाड ने कहा कि महाराजा भर्तृहरि का अलवर संस्कृति में महत्व है। महाराजा भर्तृहरि नाटक जीवन में एक संदेश देता है।
यह नाटक संपूर्ण मनोरंजन की आवश्यकता को पूरा करता है। हरियाणा झील सेवा आयोग के सदस्य आनंद शर्मा, राजर्षि अभय समाज के अध्यक्ष पं. धर्मवीर शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। विधायक संजय शर्मा, जिला एवं सत्र न्यायाधीश योगेंद्र पुरोहित मुख्य अतिथि थे। प्रारंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। राजर्षि अभय समाज के पदाधिकारियों ने अतिथियों का दुपट्टे से माल्यार्पण कर स्वागत किया। संचालन अमित वशिष्ठ ने किया।