जिलेभर में श्रद्धा के साथ मनाया Bachchh Baras पर्व, परिवार में सुख समृद्धि की कामना की

Update: 2024-08-30 14:11 GMT
Bhilwaraभीलवाड़ा। जिलेभर में शुक्रवार को महिलाओं ने बछ बारस का पर्व परंपरागत तरीके से मनाया। पुत्र की लंबी आयु की कामना को लेकर महिलाओं ने व्रत उपवास रख गाय व बछड़े की पूजा की। महिलाओं ने पूजा सामग्री से सजी धजी थाली लेकर गाय व बछड़े को चना, मूंग, मोठ, मक्का, दही आदि खिलाया तथा वस्त्र ओढ़ाकर पूजा की। पूंछ को सिर पर लगाकर गाय और बछड़े की परिक्रमा की और परिवार में सुख समृद्धि की कामना की। इस दौरान महिलाओं ने बुजुर्ग महिलाओं से बच्छ बारस की कथा सुनीं वहीं कई महिलाओं ने बच्छ बारस का उद्यापन भी किया। शहर में संजय काॅलोनी क्षेत्र में महिलाओं ने पूजा-अर्चना के साथ ही इसका महत्व ही बताया। गाय और बछड़े की पूजा व कथा सुनने के बाद महिलाओं ने गाय की दिन-प्रतिदिन हो रही बदहाली पर गीत गाकर कृष्ण भगवान से गाय की रक्षा के लिए भी प्रार्थना की। इस दिन बाजरा मोठ चना मुंग आदि को भिगोया जाता है और इसे अंकुरित अनाज से पूजा की जाती है। शादी और पुत्र के जन्म के बाद आने वाली बछ बारस को विशेष तौर से मनाया जाता है। इस दिन पूजा में नवविवाहिता व नवजात को भी शामिल किया जाता है। इस दिन गेहूं का उपयोग नहीं कर बाजरा व मक्का से बनी खाद्य वस्तुओं का उपयोग किया जाता है। इस दिन गाय का दूध उपयोग नहीं लिया जाता है व चाकू से कटी सब्जियो
का पर
हेज किया जाता है।
जगह-जगह पूजा करती दिखी महिलाएं
बछ बारस पर शहर में जगह-जगह महिलाएं सुबह से गाय व बछड़े की पूजा करती दिखाई दी। महिलाएं सज धजकर पूजा थाल हाथ में लिए समूह में पूजा करने जाती दिखाई दी। गीत गाते हुए पूजा करने पहुंची महिलाओं ने पूजा के बाद समूह में बैठकर कहानियां सुनी।
गौ पालकों को भेंट किए वस्त्र व अन्न 

महिलाओं ने बछ बारस पर गाय व बछड़े की पुजा कर गोपालक को अन्न वस्त्र भेंट किए। गाय व बछड़े को गुड़ व
लपसी
खिलाई। वहीं, शहर में अनेक स्थानों पर लोगों ने गायों को हरा चारा डाला। बच्छ बारस को गोवत्स द्वादशी के रूप में भी मनाया जाता है।
माधव गौशाला में एनआरआई दम्पति ने किया गौ दान
मंदिर व्यवस्था प्रबंधन प्रमुख गोविन्द प्रसाद सोडानी ने बताया कि बारस के उपलक्ष में सांवरिया सेठ का भव्य श्रृंगार किया गया। गौशाला में एनआरआई केलिफॉरनिया युएसए के महेश व सीमा सोमानी ने दो गाय गोद ली। पुजारी दीपक ने गायों की पूजा कराई। गायों को साड़ी ओढ़ाकर, पानी पिलाया और ग्वाल सूरज सिंह को गायों के साथ ही बर्तन भेंट किए।
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