पराली को आग न लगाकर इसके सुचारु प्रबंधन के लिए सहयोग करें किसान : एस.डी.एम प्रदीप बैंस
दसूहा/टांडा: डिप्टी कमिश्नर होशियारपुर कोमल मित्तल के निर्देशों पर एस.डी.एम दसूहा व टांडा प्रदीप सिंह बैंस की ओर से ब्लाक दसूहा व टांडा के गांवों में पराली को आग लगाने की घटनाओं पर काबू पाने के लिए अलग-अलग विभागों के लगाए गए कलस्टर व नोडल अधिकारियों, किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ बेलर मालिकों, पराली एग्रीगेटर्ज व उद्योगपतियों के साथ बैठक की गई।
जिसमें एग्रीगेटर्ज अमरिंदर गिल, राजीव राणा, हरकिरत सिंह, बेलर मालिक कुलवीर सिंह, मंदीप सिंह, सोनू व उद्योगपति ठाकुर दास सहिबाजपुर पेपर मिल व अमित जैन ईको ऊर्जा वैंचर्ज लिमिटिडेट ने भाग लिया। टांडा में जागरुकता कैंप के दौरान विधायक जसवीर सिंह राजा गिल ने भी विशेष तौर पर शिरकत करते हुए किसान जागरुकता वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया व किसानों को पराली को आग न लगाने के लिए प्रेरित किया।
बैठक में एस.डी.एम की ओर से उद्योगपतियों से पराली के प्रयोग का लक्ष्य पूछते हुए अलग-अलग एग्रीगेटर्ज व बेलर मालिकों से उनके ब्लाक टांडा व दसूहा के गांवों में पराली एकत्र करने का लक्ष्य व उस लक्ष्य को पूरा करने के लिए बेलरों की गिनती के बारे में जानकारी हासिल की। एग्रीगेटर्ज व बेलर मालिकों ने जानकारी देते हुए बताया कि ब्लाक टांडा व दसूहा में पराली एकत्र करने के लिए 45-55 छोटे बेलर(प्रति दिन 20-25 एकड़ क्षमता) व 2 बेलर(प्रतिदिन 80-100 एकड़ क्षमता) आ रहे हैं।
यदि किसान सहयोग करें और पराली मिलती रहें तो इन बेलरों की गिनती बढ़ाई जा सकती है। एग्रीगेटर्ज व बेलर मालिकों की ओर से किसानों को अपील की गई कि उनको खेतों से पराली उठाने के लिए 7-8 दिन का समय, खेत तक पहुंचाने के लिए 1-2 दिन, पराली पर कटर चलाने के लिए 1 दिन, पराली सूखने के लिए 2 दिन, गांठे बनाने के लिए 1 दिन पर पराली की गांठें उठवाने के लिए 2 दिन चाहिए। इस लिए किसान उनको इतने समय के लिए सहयोग करें।
एस.डी.एम की ओर से अलग-अलग विभागों के कलस्टर व नोडल अधिकारियों को हिदायत की गई कि वे अपने अंतर्गत आते गांवों में पराली को आग न लगाएं व सुचारु प्रबंधन करने के लिए कृषि व किसान कल्याण विभाग का सहयोग करें व उनकी ओर से की जा रही जागरुकता गतिविधियों में हिस्सा लेकर किसानों को जागरुक करें।
कृषि विभाग की ओर से पराली को आग न लगाने का संदेश देने के लिए चलाई जा रही जागरुकता वैन को हरी झंडी दिखाते हुए एस.डी.एम दसूहा की ओर से किसान यूनियनों के माध्यम से किसानों को हवा व धरती को बचाने के लिए पुरजोर कोशिश करते हुए किसानों की ओर से सब्सिडी पर दी गई मशीनों का अधिक से अधिक प्रयोग किया जाए, बेलरों का कार्य करने के लिए जरुरी समय दिया जाए व जल्दबाजी में आग लगाने का कदम न उठाया जाए।
इस दौरान कृषि व किसान कल्याण विभाग की ओर से गेहूं की अक्टूबर के आखिर में सप्ताह में बिजाई करने की बजाए नवंबर के पहले या दूसरे सप्ताह में बिजाई करने की अपील की गई, क्योंकि पिछेती बिजाई से पराली संभालने के लिए 7-10 दिन का समय भी बढ़ जाएगा और मौसम भी ठंडा होने के कारण गुलाबी सुंडी का हमला भी बच जाएगा। इससे स्प्रे के कारण 700-1000 रुपए प्रति एकड़ का खर्चा भी बचाया जा सकेगा।