किसान आंदोलन पर बोले सीएम भगवंत मान, 'जल्द सुलझाएंगे मुद्दे, बस एक साल का समय दे दें'

पंजाब के किसानों का अपनी मांग को लेकर भीषण गर्मी के बीच प्रदर्शन जारी है.

Update: 2022-05-18 05:17 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पंजाब के किसानों का अपनी मांग को लेकर भीषण गर्मी के बीच प्रदर्शन जारी है. इसी बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने कल रात कहा था कि उनकी सरकार किसानों के साथ बैठक करने के लिए तैयार है. उन्होंने आगे कहा, किसानों को हमें अपने मुद्दों को हल करने के लिए कम से कम एक साल का समय देना चाहिए. सरकार की आलोचना करना और नारे लगाना उचित नहीं है और दोनों पक्षों के बीच बातचीत होनी चाहिए. दरअसल पंजाब (Punjab) के किसान गेहूं खरीद पर बोनस और 10 जून से धान की बुवाई शुरू करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर राज्य की राजधानी जाने से रोके जाने के बाद मंगलवार को चंडीगढ़-मोहाली सीमा के निकट धरने पर बैठ गए.

किसानों ने चेतावनी दी कि बुधवार सुबह तक उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो बुधवार को चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच करेंगे. फिर चाहे लाठी खानी पड़े या बैरिकेड तोड़ना पड़े. इस बीच, मंगलवार दोपहर को किसान नेताओं की मुख्यमंत्री के साथ बैठक नहीं हो सकी और मुख्यमंत्री भगवंत मान भी दोपहर बाद दिल्ली के लिए रवाना हो गए, जहां उन्होंने आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की. इसी दौरान दिल्ली से लौटने के बाद, सीएम मान ने कहा था कि किसान आंदोलन अनुचित था और उन्होंने कृषि संघों को नारेबाजी बंद करने और पंजाब में घटते जल स्तर की जांच के लिए राज्य सरकार से हाथ मिलाने की सलाह दी थी. किसानों के साथ बातचीत के लिए मेरे दरवाजे खुले हैं, लेकिन खोखले नारे पानी के स्तर को और कम करने के उनके दृढ़ संकल्प को नहीं तोड़ सकते.मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि धान की बुवाई कार्यक्रम से किसानों के हितों को कोई नुकसान नहीं होगा बल्कि यह प्रयास राज्य में जल स्तर को बचाने में बहुत ही सहायक सिद्ध हो सकता है
क्या है किसानों की मांग
अपनी विभिन्न मांगों में किसान प्रति क्विंटल गेहूं पर 500 रुपये का बोनस चाहते हैं क्योंकि भीषण गर्मी की स्थिति के कारण उनकी उपज घट गई है और गेहूं के दाने सिकुड़ गए हैं. वे बिजली के बोझ को कम करने और भूमिगत जल के संरक्षण के लिए 18 जून से धान की बुवाई की अनुमति देने के पंजाब सरकार के फैसले के भी खिलाफ हैं. हालांकि, प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि सरकार उन्हें 10 जून से धान की बुवाई की अनुमति दे. वे मक्का और मूंग के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए अधिसूचना भी जारी करवाना चाहते हैं. वे राज्य सरकार से बिजली लोड को बढ़ाने पर लगने वाले शुल्क को 4,800 रुपये से घटाकर 1,200 रुपये करने और बकाया गन्ना भुगतान जारी करने की भी मांग कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी स्मार्ट बिजली मीटर लगाने का भी विरोध कर रहे हैं.
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