20 रुपये के लिए मारपीट करने वाले को हुई एक साल की जेल, बॉम्बे हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला

बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने 15 साल पुराने मामले में अकोला के एक व्यक्ति की अपील को खारिज कर दिया।

Update: 2022-01-23 18:07 GMT

बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने 15 साल पुराने मामले में अकोला के एक व्यक्ति की अपील को खारिज कर दिया. अदालत ने अपीलकर्ता को आत्मसमर्पण करने को कहा और एक साल की जेल की सजा भी सुनाई. 15 साल पहले 20 रुपए के कर्ज को लेकर इस व्यक्ति ने मारपीट की थी. आरोपी गंगाराम उर्फ ​​नरेंद्र देविदास इंगोले को 1 अगस्त 2007 को अकोला के सेशन जज ने एक साल की सजा सुनाई थी और 1000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

उधार के 20 रुपए वापस मांगने पर की थी मारपीट
दरअसल, विट्ठल धनाजी नाम के एक व्यक्ति ने 2007 में नरेंद्र देविदास इंगोले को 20 रुपए उधार दिए थे. कुछ समय बाद धनाजी ने एक अन्य व्यक्ति के सामने, इंगोले से उधार लिए 20 रुपए वापस मांग लिए, जिससे इंगोले शर्मिंदा हो गया और उसे गुस्सा आ गया.
इंगोले ने धनाजी पर घूंसे और लातों से वार किया. इसके बाद, धनाजी ने पुलिस स्टेशन जाकर एफआईआर दर्ज करवाई. एफआईआर से नाराज होकर, इंगोले ने उसी रात फिर से धनाजी पर हमला किया. अगले दिन सुबह धनाजी की मौत हो गई. तब, धनाजी के बेटे ने आईपीसी की धारा 302, 504 और 506 के भाग 2 के तहत, एफआईआर दर्ज कराई थी.
2007 में सेशन कोर्ट ने दी थी सज़ा
सेशन कोर्ट ने माना था कि जबकि आरोपी वास्तव में मौत का जिम्मेदार है, लेकिन मौत का कारण बनने का उसका इरादा नहीं था. इसलिए सेशन कोर्ट ने इंगोले को आईपीसी की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) के तहत दोषी ठहराया था. इंगले के वकील ने दलील दी कि इतना समय बीत गया है, इसे देखते हुए सजा को कम किया जाए. इस पर न्यायमूर्ति रोहित बी देव ने कहा, 'मुझे ऐसा करने का कोई कारण नहीं दिखता. एक अनमोल जीवन खो गया है. 20 रुपये वापस करने की मांग पर, आरोपी ने न केवल मृतक के साथ मारपीट की, बल्कि उसने मृतक के घर लौटकर घरवालों को धमकाया और फिर से मारपीट की. इस पर कोई नरमी नहीं दिखाई जा सकती.'


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