Pune पुणे: यहां की एक अदालत ने मंगलवार को मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे के खिलाफ 2013 के धोखाधड़ी मामले में गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी किया, क्योंकि वह अदालत के समक्ष पेश नहीं हुए। उनके वकील ने यह जानकारी दी। मनोज जरांगे ने 20 जुलाई से जालना जिले के अपने गांव में आरक्षण की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है। उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी होने के बाद वह 31 मई को अदालत के समक्ष पेश हुए थे। अदालत ने तब गैर-जमानती वारंट रद्द कर दिया था, लेकिन उन पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया था। उनके वकील हर्षद निंबालकर ने कहा, "इस मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष आज सुनवाई होनी थी, लेकिन चूंकि जरांगे वर्तमान में भूख हड़ताल पर हैं, इसलिए वह उपस्थित नहीं हो सके।" हर्षद निंबालकर ने कहा, "हम उन्हें अदालत के समक्ष पेश करेंगे और गैर-जमानती वारंट रद्द करवाएंगे।" मनोज जरांगे और दो अन्य के खिलाफ 2013 में भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 406 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
मनोज जरांगे और सह-आरोपी ने 2012 में शिकायतकर्ता से संपर्क किया था, जो छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज पर नाटक करता है, जालना जिले में "शंभुराजे" के छह शो के लिए और उसे ₹ 30 लाख की पेशकश की। जबकि ₹ 16 लाख का भुगतान किया गया था, शेष राशि को लेकर कुछ विवाद हुआ, जिसके कारण शिकायत हुई। इसके बाद अदालत ने पुलिस को मामला दर्ज करने का आदेश दिया। हर्षद निंबालकर ने कहा, "2013 में मामले में जरांगे ने अग्रिम (गिरफ्तारी से पहले) जमानत हासिल की थी। पुलिस ने आरोप पत्र दायर किया, लेकिन जरांगे को कोई समन जारी नहीं किया गया। अदालत ने जनवरी 2024 में मामले का संज्ञान लिया और उसे दो समन जारी किए।"