महाराष्ट्र: हाईकोर्ट CM उद्धव और संजय राउत के खिलाफ अवमानना की मांग पर बोला

महाराष्ट्र हिंदी न्यूज

Update: 2022-04-27 09:33 GMT
मुंबई. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे और शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत आदि के खिलाफ अदालत की अवमानना कार्रवाई शुरू करने की याचिका पर बुधवार को बंबई हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता ने तीखी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि जब तक हमारी अंतरात्मा साफ है, उन्हें जुडिशरी के बारे में जो कहना है, कहने दीजिए. ऐसे बयानों के लिए हमारे कंधे काफी चौड़े हैं. पहले तो चीफ जस्टिस ने याचिका को गर्मियों की छुट्टी के बाद सुनवाई के लिए लगाने की बात कही, लेकिन याचिकाकर्ता के जोर देने पर कहा कि आप जल्दी सुनवाई के लिए रिट फाइल कीजिए, हम देखते हैं.
सीएम उद्धव ठाकरे, गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल, शिवसेना सांसद संजय राउत और शिवसेना के मुखपत्र सामना से जुड़े लोगों पर न्यायपालिका के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देकर बदनाम करने के आरोप में अवमानना की कार्रवाई की मांग की गई है. इंडियन बार एसोसिएशन की तरफ से दाखिल इस जनहित याचिका (पीआईएल) में कहा गया है कि मंत्री पद पर बैठे प्रतिवादियों ने हाईकोर्ट के जजों और पूरी न्यायिक प्रणाली के खिलाफ कई 'झूठे, निंदनीय और अवमाननापूर्ण' आरोप लगाए हैं, क्योंकि अदालतों के कई निर्णय उनके अनुरूप नहीं हैं.
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याचिका में कहा गया है कि विरोधियों को जेल में रखने या सत्ता व पुलिस तंत्र के दुरुपयोग से उन्हें परेशान करने की इन लोगों की योजना हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के कारण नाकाम हो गई है. इससे बौखलाकर ये लोग कई मौकों पर न्यायपालिका के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी करते रहे हैं. याचिका में बीजेपी नेता किरीट सोमैया को धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम राहत के हाईकोर्ट के आदेश पर संजय राउत के भी कथित आपत्तिजनक बयान का भी हवाला दिया गया है. याचिका में कहा गया कि ये सब अदालत की गरिमा को कम करने और न्यायपालिका में आम आदमी का विश्वास डगमगाने के लिए किया जा रहा है. अदालत को इस पर संज्ञान लेकर अवमानना का नोटिस जारी करना चाहिए.
बार एंड बेंच के मुताबिक, बुधवार को हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच के सामने इस याचिका का मसला उठाया गया. पहले तो बेंच ने कहा कि हम इस पर गर्मियों की छुट्टियों के बाद सुनवाई करेंगे. इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने जल्द सुनवाई का आग्रह किया. उन्होंने दलील दी कि कोर्ट के प्रयासों के बावजूद आरोपियों की तरफ से ऐसे बयान दिए जा रहे हैं. इसके बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि आप रिट फाइल कीजिए, हम देखते हैं. इस दौरान चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका के बारे में उन्हें जो कहना है, कहने दीजिए. इस तरह की टिप्पणियों के लिए हमारे कंधे काफी चौड़े हैं. जब तक हमारी अंतरात्मा साफ है, उन्हें कहने दीजिए.
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