मौसम के कहर से खराब हुई केले की खेती, किसानों ने मांगा 2 लाख रुपये प्रति एकड़ मुआवजा
मौसम के कहर से खराब हुई केले की खेती
महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों में बारिश शुरू हो गई. राज्य के मराठवाड़ा क्षेत्र में आने वाले नांदेड़, हिंगोली और बीड जिलों में आंधी और बारिश के कारण खेती पर बुरा असर देखने को मिला है. बारिश के कारण केले के बाग बर्बाद हो गए हैं. अभी तक बारिश से बागों को भारी नुकसान हुआ है. इसके पहले जलवायु परिवर्तन से केले की खेती (Banana Farming) को नुकसान हुआ. अब यह बारिश की चपेट में है. हालांकि यह बारिश खरीफ के लिए अच्छी है. लेकिन, कुछ फसलों के लिए काल बन गई है. हिंगोली जिले (Hingoli District) के वासमत तालुका में केले के बागों का एक बड़ा क्षेत्र है. वहां बारिश से नुकसान पहुंचा है. वहीं जिले के दूसरे तालुका करुंडा और गिरगांव में माॅनसून की पहली बारिश ने केले के बागों को बड़े पैमाने पर नष्ट कर दिया. किसान सरकार से इसके लिए 2 लाख रुपये प्रति एकड़ मुआवजा की मांग कर रहे हैं.
बारिश से पहले तेज आंधी आई और उसके पेड़ जमीन पर आ गए. इससे किसानों की फसल को लाखों का नुकसान (Crop Loss) हुआ है. इसके कुछ दिन पहले प्री मॉनसून बारिश के कारण भी कई जगहों पर केले के बागों को नुकसान हुआ था. पिछले साल भी महाराष्ट्र के किसानों को भारी बारिश और बाढ़ से नुकसान उठाना पड़ा था.
केले की खेती करने वाले किसानों की उम्मीदों पर फिरा पानी
हिंगोली जिले के वासमत, कुरुंडा और गिरगांव तालुका में व्यापक रूप से केले की खेती की जाती है. यहां किसानों की जीविका यह मुख्य आधार है. आंधी और बारिश के कारण इन क्षेत्रों में केले के बाग जमीन पर आ गए हैं. यहां से निर्यात योग्य केले की कटाई चल रही थी. ऐसे में अब उनकी गुणवत्ता पर भी असर देखने को मिलेगा. किसान पहले से ही कीमतों में गिरावट को लेकर चिंतित थे. हालांकि, केला एक बारहमासी फल है और आम के बाद कीमतों में सुधार होना शुरू हो गया था. लेकिन बारिश और तेज हवाओं ने केला उत्पादकों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया.
दो-दो लाख रुपये प्रति एकड़ के मुआवजे की मांग
गिरगांव के किसान बालाजी नाद्रे ने सरकार से प्रभावित किसानों को दो-दाे लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा (Compensation) देने की मांग की है. ताकि उनका खर्च निकल सके. वरना किसान अगली खेती कैसे करेंगे. बेमौसम और भारी बारिश के कारण यहां पिछले साल भी केले की फसल को भारी नुकसान हुआ था. इस बार भी मॉनसून की शुरुआत में ही हुई तेज बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है.
केला किसानों को बीमा की परेशानी
फसल बीमा का लाभ उठाने के लिए केला उत्पादक हर साल इस योजना में भाग लेते हैं, लेकिन बीमा कंपनियों द्वारा केला उत्पादकों को हतोत्साहित किया जाता है. नतीजतन, ज्यादातर किसानों ने इस वर्ष बीमा योजना में भाग नहीं लिया. इसके अलावा, फसल बीमा (Crop Insurance) मानदंड में बदलाव के कारण, कई केला उत्पादक बीमा के दायरे में नहीं आते हैं. इसलिए प्रभावित किसान अब सरकार से 2 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा की मांग कर रहे हैं.