अजित पवार गुट ने चुनाव आयोग के सामने अपने दावे के समर्थन में दलीलें पेश की
महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) पर दावे को लेकर शरद पवार और अजीत पवार धड़ा आमने-सामने है।इसी कड़ी में दोनों धड़ा अपना- अपना पक्ष रखने शुक्रवार को चुनाव आयोग पहुंचे थे। चुनाव आयोग के सामने दावा किया गया कि अजित पवार के दावे काल्पनिक है। वहीं चुनाव आयोग में सुनवाई के बाद कांग्रेस नेता और अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि चुनाव आयोग के समक्ष मुख्य रूप से दो से तीन बातें हुई हैं।सिंघवी ने कहा कि हमने कहा कि पहले प्राथमिक रूप से हमें सुन लें और फिर निर्णय करें कि कोई विवाद है या नहीं।और असल में एनसीपी किसकी है ?सिंघवी ने नहीं कहा कि उनकी दलीलों पर सुनवाई अब सोमवार को होगी।
एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार निर्वाचन आयोग की ओर से दोनों गुटों की हुई सुनवाई के दौरान मौजूद थे। आयोग ने इस मामले में सुनवाई अब 9 अक्टूबर को करने का फैसला किया है। वही पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर दावा करते हुए निर्वाचन आयोग का रुख करने वाले महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा है कि उन्हें महाराष्ट्र में एनसीपी के 53 में से 42 विधायकों, 9 में से 6 विधान परिषद सदस्यों, नागालैंड से सभी 7 विधायकों और लोकसभा एवं राज्यसभा की एक-एक सदस्य का समर्थन प्राप्त है। चुनाव आयोग में सुनवाई के दौरान शरद पवार की तरफ से अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और अजीत पवार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एन के कॉल और महेंद्र सिंह मौजूद थे।
चुनाव आयोग में एनसीपी मामले को लेकर अगली सुनवाई सोमवार को होगी। शुक्रवार को अजित पवार गुट ने चुनाव आयोग के सामने अपने दावे के समर्थन में दलीलें पेश की। शरद पवार के अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सुनवाई के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि अजीत पवार की ओर से पेश किए गए दावे काल्पनिक है। गौरतलब है कि इसी साल जुलाई महीने में अजीत पवार ने अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दिया था अजीत पवार ने 30 जून को निर्वाचन आयोग के संपर्क किया था और पार्टी के नाम के साथ-साथ चुनाव चिन्ह पर भी दावा किया था और बाद में 40 विधायकों के समर्थन के साथ खुद को पार्टी अध्यक्ष भी घोषित कर दिया था। इसी कड़ी में शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट ने चुनाव आयोग से कहा था कि पार्टी में कोई भी विवाद नहीं है, लेकिन कुछ लोग व्यक्तिगत महत्ता के लिए संगठन से अलग हो गए हैं।
अजीत पवार ने चुनाव आयोग के सामने रखी गई अपनी दलील में कहा है कि इन परिस्थितियों में याचिकाकर्ता का कहना है कि उसे एनसीपी की संगठनात्मक इकाई के साथ-साथ विधायी इकाई में भी भारी समर्थन प्राप्त है, और इसलिए माननीय आयोग की ओर से याचिकाकर्ता के नेतृत्व वाले गुट को असली पार्टी की मान्यता देकर वर्तमान याचिका को अनुमति दी जा सकती है। गौरतलब है कि यह सारा मसला उस समय शुरू हुआ जब महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाले गुटने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के खिलाफ विद्रोह कर दिया था और पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर दावा करते हुए निर्वाचन आयोग का रूख किया था।