KBC में साढ़े 6 लाख जीत गांव लौटी वैष्णवी, गांधी के नाम से शुरू करेंगी अनूठा फंड, बोली

मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के सिंहपुर गांव की बारह साल की वैष्णवी ‘कौन बनेगा करोड़पति’ की हॉट शीट पर पहुंचने वाली पहली प्रतिभागी बन गईं है.

Update: 2021-11-24 04:36 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के नरसिंहपुर जिले के सिंहपुर गांव की बारह साल की वैष्णवी 'कौन बनेगा करोड़पति' की हॉट शीट पर पहुंचने वाली पहली प्रतिभागी बन गईं है. महानायक अमिताभ बच्चन के साथ हॉट सीट पर बैठने वाली वैष्णवी ने केबीसी में 6 लाख 40 हजार रुपये जीतकर घर लौटी हैं. यह धनराशि इन्हें 18 साल की होने पर मिलेगी. वैष्णवी ने इस नेक कमाई से अपनी मां से पैसे लेकर अपने गांव के लिए एक अनूठा फंड बनाने की तैयारी शुरू कर दी है.

वैष्णवी कई सारी यादें लेकर सदी के महानायक अभिताभ बच्चन से परिवार सहित मुलाकात कर मुम्बई से सिंहपुर अपने घर वापस आ गई है. वैष्णवी को सदी के महानायक के साथ हॉट शीट पर बैठने का नजारा याद आते ही रोमांचित कर देता है. मेहनत मशक्कत कर केबीसी में अपने ज्ञान की बदौलत आधे घंटे से ज्यादा समय हॉट शीट पर बिताने के बाद वैष्णवी ने छह लाख चालीस हजार रुपये कमाए हैं. जिले की पहली प्रतिभागी बनने के साथ सदी के महानायक अमिताभ बच्चन से मिलने से वैष्णवी का परिवार बेहद खुश है. हॉट शीट पर पहुंचने की खुशी के साथ वैष्णवी को ये डर भी था कि कहीं उसके जल्दी बोलने से अमिताभ बच्चन नाराज न हो जाएं. वैष्णवी कहती हैं कि वे अमिताभ बच्चन को देख डर गईं थीं.
आईएएस बनना चाहती हैं वैष्णवी
वैष्णवी बताती हैं कि अपने नाना के यहां रहती हैं. उनकी मां और पिता दोनों का किरदार उनकी मां अमिता ही पूरा करती हैं. इस दौरान बेटी को पढ़ाने और उसे केबीसी तक पहुंचाने में सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाली अमिता स्कूल ने पहुंच पाने के चलते निलंबित तक हो गईं. इस बात पर अपनी मां का पक्ष न सुने जाने के चलते अब वैष्णवी ने खुद ऐसा आईएएस बनने की ठानी है. जिससे लोगों को न्याय मिल सके.
अनूठा काम करना चाहती हैं
अब वैष्णवी अपने इस खिताब से अपने गांव की पहचान को जीवंतता देना चाहती हैं. दरअसल गांव की राष्ट्रीय पहचान यहां का वो सरकारी बुनियादी शाला है जहां आजादी के पहले से विद्यार्थी गांधी टोपी पहनकर आते रहे हैं. गांव के इस स्कूल की गांधी टोपी की पहचान की बदौलत सिंहपुर गांव देशभर में पहंचाना जाता है. मौजूदा समय में सरकारी स्कूलों के हालात बेहतर नही हैं. ऐसे में यहां की पहचान गांधी टोपी को बरकरार रखने के लिये यहां पढ़ने वाले उन विद्यार्थियों को जो टोपी खरीदने में असमर्थ हैं वैष्णवी उन्हें हमेशा टोपी में ही पढ़ते देखना चाहती है. इसके लिए वो बाकायदा गांधी टोपी फंड बनाने जा रही है.
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