जिनके पास धर्म का ज्ञान होता है उन्हे दु:ख कभी दु:ख नहीं लगता: Sa. Shri Tatvlatashreeji
Meghnagar. नगर में मूर्तिपूजक त्रिस्तुतिक श्रीसंघ द्वारा आयोजित ज्ञानतत्व तपोमय चातुर्मास हेतु विराजित पुण्य समारत श्रीमद विजय जयंतसेन सुरीश्वरजी महाराजा के पट्टधर पूज्य गच्छाधिपति श्रीमद विजय नित्यसेन सुरीश्वरजी एवं आचार्य जयरत्न सूरीजी की आज्ञानुवर्ती और गुरुमैया स्नेहलताश्रीजी की सुशिष्या साध्वीश्री तत्वलताश्रीजी महाराज साहब ने सोमवार को धर्मसभा में प्रवचन में व्यक्त करते हुए कहा कि, जब व्यक्ति को जीवन में धर्म का ज्ञान हो जाता है, तब उस व्यक्ति को दुःख कभी दुःख नहीं लगता है।
धर्म को समझने वाला व्यक्ति कभी किसी से उलझता नही है, वह हमेशा हर बात को सुलझाने का ही प्रयास करता है। जीवन में धर्म आ जाए तो घर भी स्वर्ग बन जाते है, और समाज में भी नित्य नई प्रगति होती है। ज्ञान मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी रजत कावड़िया ने जानकारी देते हुए बताया कि, चातुर्मास में विविध तप आराधना का दौर जारी है, 100 दिवसीय भद्रतप और 45 दिवसीय सिद्धितप के 54 से अधिक आराधक प्रथम पड़ाव पर कर चुके है। द्वितीय पड़ाव का बियाशना 31 जुलाई को आएगा। वही दिनांक 1,2,3 अगस्त को सामूहिक अट्ठम की आराधना करवाई जायेगी। दिनांक 11 अगस्त से 9 दिवसीय नमस्कार महामंत्र की आराधना प्रारंभ हो रही है, जिसका कि सम्पूर्ण लाभ सेठश्री समरथमलजी रूनवाल की स्मृति में शिरोमणीदेवी समरथमलजी रूनवाल परिवार द्वारा लिया गया है।
सोमवार को प्रवचन के पश्चात सामूहिक तपस्या के प्रथम बियाशना के लाभार्थी परिवार स्व. सौभागमलजी स्व. शांतादेवी रूनवाल परिवार का बहुमान, तिलक से बहुमान के लाभार्थी घेबरमल जी मोदी परिवार, माला से बहुमान के लाभार्थी राजेश जी भंडारी परिवार, श्रीफल से बहुमान के लाभार्थी विमल जी मुथा परिवार एवं मोमेंटो से बहुमान लाभार्थी शांतिलाल जी लोढ़ा परिवार द्वारा किया गया।