जो जिनवचन श्रवण करता है, वही श्रावक कहलाता है: Sa. Shri Tatvalatashriji

Update: 2024-08-23 18:24 GMT
Meghnagar मेघनगर। सिर्फ जैन कुल में, संभ्रांत परिवार में जन्म ले लेने मात्र से ही कोई श्रावक नही बन जाता, श्रावक तो वही होता है जो जिनवाणी का श्रवण कर उसे अपने आचरण में उतारे। उक्त उद्गार नगर में ज्ञानतत्व तपोमय चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य साध्वीजी  तत्वलताश्रीजी महाराज साहब ने अपने प्रवचन में फरमाते हुए कहे, साथ ही उन्होंने फरमाया कि मानव को कभी पुण्य के उदय की चाहना भी नही करना चाहिए, वह हमारे सद्कर्मों से स्वयं उदय में आते है, चाहना तो ऐसी होती है जिसका कि कोई अंत ही नही होता है, ये तो सदैव बढ़ती ही रहती है।
उक्त जानकारी देते हुए रजत कावड़िया ने बताया कि, गुरुवार को नगर में चल रही सामूहिक सिद्धितप एवं भद्रतप आराधना के सामूहिक बियाशना संपन्न हुए, आज के बियाशना का लाभ जिनेंद्रकुमारजी, प्रांजल, हितज्ञ बाफना परिवार ने लिया। आज पूज्य साध्वीजी के दर्शन वंदन हेतु अलीराजपुर निवासी और नंदूरी (नानपुर) जैन तीर्थ के निर्माता काकड़ीवाला परिवार के कमलेशजी काकड़ीवाला सपरिवार पधारे। काकड़ी वाला का बहुमान, बहुमान के लाभार्थी परिवार, वोहरा परिवार, रूनवाल परिवार, रांका परिवार, कावड़िया परिवार ने किया।
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