देश के सांसदों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज होने वाली सुनवाई टली, 4,984 केस पेंडिंग

देश के सांसदों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज होने वाली सुनवाई टल गई है.

Update: 2022-04-08 06:28 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देश के सांसदों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज होने वाली सुनवाई टल गई है. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में 15 अप्रैल को सुनवाई करने वाला है. शीर्ष अदालत में दाखिल रिपोर्ट के मुताबिक, देश में सांसदों और विधायकों के खिलाफ अब तक कुल 4,984 मामले पेंडिंग पड़े हुए हैं. अदालत ने फरवरी की शुरुआत में बताया था कि सांसदों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के खिलाफ कुल 4,984 मामले लंबित हैं, जिनमें 1,899 मामले पांच वर्ष से अधिक पुराने हैं. यहां गौर करने वाली बात ये है कि दिसंबर 2018 तक कुल लंबित मामले 4,110 थे और अक्टूबर 2020 तक ये 4,859 हो गए.

अधिवक्ता स्नेहा कलिता के माध्यम से दाखिल रिपोर्ट में कहा गया था कि चार दिसंबर 2018 के बाद 2,775 मामलों के निस्तारण के बावजूद सांसदों/विधायकों के खिलाफ मामले 4,122 से बढ़कर 4,984 हो गये. इससे प्रदर्शित होता है कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले अधिक से अधिक लोग संसद और राज्य विधानसभाओं में पहुंच रहे हैं. यह अत्यधिक आवश्यक है कि लंबित आपराधिक मामलों के तेजी से निस्तारण के लिए तत्काल और कठोर कदम उठाए जाएं. सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की तेजी से सुनवाई सुनिश्चित करने तथा सीबीआई व अन्य एजेंसियों द्वारा शीघ्रता से जांच कराने के लिए अदालत समय-समय पर कुछ निर्देश जारी करती रही है.
मामलों के निपटान के बाद भी बढ़े केस
यहां गौर करने वाली बात ये है कि 4,984 मामलों में से 1,899 मामले पांच साल से भी ज्यादा पुराने हैं. इसके अलावा, 1,475 केस ऐसे हैं, जो दो साल से लेकर पांच साल तक पुराने हैं. दूसरी ओर, इतने सारे मामलों के लंबित पड़े रहने का हाल तब है, जब अदालत की ओर से लगातार इस तरह के मामलों पर निगरानी रखी जा रही है. बताया गया है कि दिसंबर 2018 से लेकर अभी तक 2,775 लंबित मामलों का निपटान किया गया है. हालांकि, इन सबके बावजूद भी कुल लंबित मामलों की संख्या में इजाफा हुआ है. मामले मजिस्ट्रेट अदालतों में लंबित मामलों की संख्या 3,322 है, जबकि 1,651 मामले सत्र अदालतों में लंबित हैं.
इन केस की संख्याओं को देखकर एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि सरकार की व्यवस्थाओं में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं की संख्या में दिनों-दिन इजाफा हो रहा है. आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेता जनप्रतिनिधि बनकर विधानसभाओं और लोकसभा में पहुंच रहे हैं. ये इस बात की ओर इशारा करता है कि लंबित मामलों पर जल्द से जल्द निर्णय होना चाहिए.
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