Muzaffarpur: ड्रग रेजिस्टेंस की जानकारी नहीं मिल पा रही

टीबी की कौन सी दवा कारगर

Update: 2024-07-24 05:49 GMT

मुजफ्फरपुर: सूबे में टीबी के मरीजों पर कौन सी दवा कारगर और कौन सी बेअसर हो गई है, इसका पता ही नहीं चल पा रहा है. राज्य में टीबी मरीजों की यूडीएसटी (दवा संवेदनशीलता परीक्षण) जांच नहीं होने से ड्रग रेजिस्टेंस की जानकारी नहीं मिल पा रही है. स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में सिर्फ 42 प्रतिशत मरीजों की यूडीएसटी जांच हो रही है, बाकी 58 प्रतिशत इस जांच से वंचित हैं.

मुजफ्फरपुर में भी 42 प्रतिशत मरीजों की ही यूडीएसटी जांच हो पा रही है. जिला संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. सीके दास ने बताया कि निजी अस्पतालों में जांच नहीं होने से आंकड़ा कम है. सरकारी अस्पतालों में हमलोग मरीजों की जांच कर लेते हैं. निजी अस्पताल से जांच की रिपोर्ट नहीं आती है.

बिहार के मेडिकल कॉलेजों में जांच यूडीएसटी जांच बिहार के मेडिकल कॉलेजों में होती है. इनमें दरभंगा मेडिकल कॉलेज, जवाहर लाल नेहरू भागलपुर मेडिकल कॉलेज और आईजीआईएमएस पटना शामिल हैं. स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट बताती है कि राज्य में शेखपुरा, जमुई और किशनगंज जांच कराने के मामले में सबसे निचले पायदान पर हैं. यहां सिर्फ 12 प्रतिशत मरीजों की ही यूडीएसटी जांच हो रही है. टीबी के मरीजों की पहली जांच यूडीएसटी जांच ही होती है. इसी से पता चलता है कि उसे कौन सी दवा चलेगी.

टीबी की दवा के लिए लिखा गया है पत्र

जिले में टीबी की फर्स्ट और सेकेंड लाइन दवाओं के लिए जिला संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी ने विभाग को पत्र लिखा है. मुजफ्फरपुर सहित कई जिलों में टीबी की दवाओं की किल्लत है. दवा की किल्लत से टीबी मरीजों की बीमारी बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है.

2025 तक टीबी उन्मूलन के लिए चल रहा कार्यक्रम

केंद्र सरकार वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन के लिए कार्यक्रम चला रही है, लेकिन जांच नहीं होने से यह कार्यक्रम कैसे पूरा होगा, इस पर सवाल है. मुजफ्फरपुर में टीबी के दस हजार मरीज हैं, वहीं राज्य में टीबी के लगभग पौने लाख मरीज. टीबी उन्मूलन के लिए मरीजों को लगातार चिन्हित करने की भी हिदायत स्वास्थ्य विभाग ने दी है.

टीबी की दवा के लिए लिखा गया है पत्र

जिले में टीबी की फर्स्ट और सेकेंड लाइन दवाओं के लिए जिला संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी ने विभाग को पत्र लिखा है. मुजफ्फरपुर सहित कई जिलों में टीबी की दवाओं की किल्लत है. दवा की किल्लत से टीबी मरीजों की बीमारी बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है.

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