Madhya Pradesh: पंढुर्ना में वार्षिक पारंपरिक गोटमार मेले में करीब 300 लोग घायल

Update: 2024-09-03 16:06 GMT
Pandhurna पंढुर्ना : अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) नीरज सोनी के अनुसार मंगलवार को मध्य प्रदेश के पंढुर्ना जिले में वार्षिक पारंपरिक गोटमार (पत्थरबाजी) मेले में लगभग 300 लोग घायल हो गए । एएसपी सोनी ने कहा कि घायलों में नौ गंभीर रूप से घायल हैं, जिनमें से दो को आगे के इलाज के लिए नागपुर रेफर किया गया है, जबकि सात का पंढुर्ना में इलाज चल रहा है। गोटमार मेला सैकड़ों वर्षों से जिले में जाम नदी के तट पर प्रतिवर्ष भाद्रपद अमावस्या के अगले दिन पारंपरिक रूप से आयोजित किया जाता है। स्थानीय लोगों के अनुसार, सावरगांव गांव और पांढुर्ना (जो पहले एक गांव था और अब एक जिला बन गया है) के लोग मेले के दौरान जाम नदी के विपरीत किनारों पर इकट्ठा होते हैं।
पंढुर्ना के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सुंदर सिंह कनेश ने एएनआई को बताया, "जिला प्रशासन, पुलिस और स्थानीय निवासियों के सहयोग से मंगलवार को यहां पारंपरिक गोटमार मेले का आयोजन किया गया। छिंदवाड़ा जिले से अलग होने के बाद यह पहला मौका है जब यह मेला लगा है। पिछली व्यवस्थाओं के अनुसार सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की गई हैं। इसके अलावा, इस साल बेहतर चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की गई हैं। एंबुलेंस की संख्या 8 से बढ़ाकर 16 कर दी गई है और उचित पहुंच मार्ग बनाए गए हैं।"
उन्होंने कहा कि प्राथमिक उपचार के लिए चार चिकित्सा शिविर भी लगाए गए हैं और सुरक्षा के लिए कुल 600 पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। मेले का इतिहास दिलचस्प है। कहा जाता है कि करीब 300 साल पहले पंढुर्ना (तब एक गांव) का एक लड़का सवारगांव गांव की एक लड़की से प्यार करता था और उससे शादी करना चाहता था। दोनों जगहों को जाम नदी अलग करती है । एक दिन लड़का लड़की के साथ भाग गया, लेकिन जब वे नदी पार कर रहे थे, तो लड़की के गांव के लोगों ने उन्हें देख लिया और उन्हें नदी पार करने से रोकने के लिए पत्थर फेंकने लगे। पांढुर्ना के निवासियों ने भी इसी तरह जवाबी कार्रवाई की। बताया जाता है कि जाम नदी में दोनों पक्षों के बीच हुई पत्थरबाजी में दंपत्ति की मौत हो गई । तब से उस घटना के प्रायश्चित के रूप में हर साल गोटमार मेले का आयोजन किया जाता है। (एएनआई)
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