मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पांच आईपीएस अधिकारियों को सिलेक्शन ग्रेड का लाभ देने के आदेश पर लगाई रोक, मामले की अंतिम सुनवाई जल्द

प्रदेश कैडर के पांच आईपीएस अधिकारियों को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने एक जनवरी 2008 से सिलेक्शन ग्रेड का लाभ दिए जाने के आदेश पारित किए थे।

Update: 2022-07-02 06:09 GMT

फाइल फोटो

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्रदेश कैडर के पांच आईपीएस अधिकारियों को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने एक जनवरी 2008 से सिलेक्शन ग्रेड का लाभ दिए जाने के आदेश पारित किए थे। जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ व जस्टिस विषाल मिश्रा की युगलपीठ के आदेश पर स्थगन आदेश पारित किया है। साथ ही याचिका पर अंतिम सुनवाई के निर्देश जारी किए हैं।

मध्य प्रदेश कैडर 1995 के आईपीएस अधिकारी जयदीप प्रसाद, चंचल शेखर, मीनाक्षी शर्मा, योगेश देशमुख और वेंकटेश्वर राव की तरफ से कैट में याचिका की गई। इसमें कहा गया था कि 13 साल की सर्विस पूर्ण करने पर आईपीएस अधिकारी को सिलेक्शन ग्रेड दिया जाता है। उन्हें सेलेक्शन ग्रेड का लाभ 1 जनवरी 2010 में दिया गया, जबकि उन्हे यह लाभ 1 जनवरी 2008 से मिलना चाहिए था। इस संबंध में उन्होंने सरकार को अभ्यावेदन भी दिया था। सरकार ने काफी देरी से किसी भी कारण कर उल्लेख न करते हुए अभ्यावेदन यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पद रिक्त नहीं थे।
याचिका में कहा गया था कि इसके बाद के अधिकारियों को निर्धारित समय पर सिलेक्शन ग्रेड का लाभ दिया गया। जिसके कारण जूनियर अधिकारियों का वेतन उनसे अधिक हो गया। निर्धारित समय में सिलेक्शन ग्रेड का लाभ नहीं मिलने के कारण उनकी पदोन्नति एडीजी पद नहीं हो रही है। सर्वाेच्च न्यायालय के आदेश हवाला देते हुए याचिका में कहा गया था कि सरकार की गलती का नुकसान लोक सेवक को नहीं होना चाहिए। कैट ने याचिका की सुनवाई करते हुए 11 नवम्बर 2020 में पारित अपने आदेश में याचिकाकर्ता आईपीएस अधिकारियों को 1 जनवरी 2008 से सिलेक्शन ग्रेड का लाभ दिये जाने के निर्देश जारी किए हैं। कैट के इस आदेश को सरकार द्वारा लगभग डेढ साल बाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी। याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इसपर स्टे ऑर्डर देते हुए मामले की अंतिम सुनवाई के निर्देश दिए हैं।
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