उन्होंने इस आयोजन को सफल बनाने में CERE टीम और विद्यार्थियों के समर्पण और कड़ी मेहनत की सराहना की। उन्होंने कहा, “आईआईएम
Indoreएक ऐसा माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है जहां अकादमिक उत्कृष्टता और व्यावहारिक प्रासंगिकता दोनों का समागम हो। इससे प्रभावशाली शोध और सार्थक संवाद होते हैं।
CERE जैसे आयोजनों के माध्यम से, हमारा लक्ष्य अगली पीढ़ी के लीडरों और प्रबंधकों को समाज और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाले सूचित निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाना है।”आईआईएम इंदौर के डॉक्टोरल प्रोग्राम इन मैनेजमेंट-
DPMके चेयर प्रो. मनीष पोपली ने कहा कि इस वर्ष की कांफ्रेंस का विषय जलवायु संकटों और अंतर्राष्ट्रीय संघर्षों के संदर्भ में पर्यावरण, सामाजिक और शासन (
ESG) मूल्य सृजन पर केंद्रित था।
ये मुद्दे व्यापार जगत में महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा, “कई व्यवसाय ESG कारकों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में उनकी दीर्घकालिक सफलता के बीच संबंध को समझने में संघर्ष कर रहे हैं। यह कांफ्रेंस सफल रही क्योंकि इसमें कई ऐसे रिसर्च पेपर प्रस्तुत हुए जो ESG मुद्दों पर केन्द्रित हैं, और आने वाली चुनौतियों के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करते हैं।” इसके अतिरिक्त, उन्होंने उच्च गुणवत्ता वाली वर्कशॉप्स आयोजित करने से प्राप्त हुए अभिनव दृष्टिकोण के लिए ही कांफ्रेंस की प्रशंसा की। उन्होंने सभी प्रतिभागियों की उनके प्रेजेंटेशन और कांफ्रेंस में सक्रिय भागीदारी के लिए सराहना की।
दूसरे दिन दो वर्कशॉप्स आयोजित की गईं। पहली वर्कशॉप आईआईएम अहमदाबाद में इनफार्मेशन सिस्टम एरिया के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सम्राट गुप्ता ने आयोजित की। उन्होंने सोशल नेटवर्क एनालिसिस और अनुप्रयोगों पर चर्चा की। डॉ. गुप्ता ने वैश्विक स्तर पर समाजों और व्यावसायिक गतिविधियों को व्यवस्थित करने में नेटवर्क की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने सोशल नेटवर्क एनालिसिस का परिचय दिया, जिसमें प्रबंधन, व्यवसाय, समाजशास्त्र और संचार जैसे विभिन्न विषयों में इसके महत्व पर प्रकाश डाला गया। कार्यशाला में थ्योरी और प्रैक्टिकल एप्रोच के सामंजस्य को समझाया गया। उन्होंने लेक्चर के दौरान सोशल नेटवर्क एनालिसिस टूल्स का उपयोग करते हुए ज्ञान साझा किया।
अहमदाबाद विश्वविद्यालय के डिस्टिंग्विश्ड यूनिवर्सिटी प्रोफेसर, प्रो. रामाधार सिंह द्वारा संचालित दूसरी
वर्कशॉप में रिसर्च को समझने पर चर्चा की गई। प्रो. सिंह ने डॉक्टोरल डेसर्टेशन और प्रकाशित हो चुके पेपर में गुणवत्ता के महत्त्व को और उसके दबाव को संबोधित किया। उन्होंने यथास्थिति पर सवाल उठाने और बेहतर विकल्पों का प्रस्ताव करने के साधन के रूप में शोध के सार को स्पष्ट किया। अपनी विशेषज्ञता को साझा करते हुए, उन्होंने प्रभावशाली शोध करने के लिए दो रूपरेखाओं की सिफारिश की: कार्य-कारण संबंधों पर प्रतिमान शोध (एक्सपेरिमेंटल रिसर्च) और व्यक्तिगत अंतर (पर्सनालिटी ट्रेट्स) पर शोध, जो विशेष रूप से व्यवहारिक और सामाजिक वैज्ञानिकों के बीच लोकप्रिय हैं।तीसरे दिन 118 से अधिक स्कॉलर ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इसमें शोध विषयों और नवीन विचारों की एक विस्तृत श्रृंखला थी। सम्मेलन का समापन बेस्ट पेपर अवार्ड की घोषणा के साथ हुआ।