भक्तों का दिल खोलकर दान: कोरोना की तमाम रोक के बावजूद महाकाल में छह दिन में पौने दो करोड़ की भेंट
कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाई जा रही तमाम पाबंदियों के बाद भी उज्जैन के महाकाल भगवान में भक्तों की आस्था देखते ही बन रही है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाई जा रही तमाम पाबंदियों के बाद भी उज्जैन के महाकाल भगवान में भक्तों की आस्था देखते ही बन रही है। 2021 की विदाई और 2022 के स्वागत के लिए महाकाल दर्शन करने पहुंचे लोगों ने छह दिन के भीतर दिल खोलकर दान किया और एक करोड़ 64 लाख से ज्यादा की राशि महाकाल को विभिन्न दान व बिक्री के रूप में मिली है।
जानकारी के मुताबिक शीघ्र दर्शन और प्रोटोकॉल दर्शन के नाम से महाकाल की आराधना करने पहुंचने वालों ने 49 लाख 24200 रुपए देकर भगवान के दर्शन किए। वहीं, भक्तों ने दानपेटियों में 25 लाख 56274 रुपए की राशि डालकर भगवान महाकाल को दान स्वरूप अर्पित किए। भगवान महाकाल का अभिषेक करने और भेंट करने वालों ने भी 29 लाख 62034 रुपए की राशि भेंटकर उन्हें खुश करने की कोशिश की।
लड्डू प्रसादी से सबसे ज्यादा महाकाल को खुश करने की कोशिश
देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर को खुश करने के लिए उऩकी लड्डू प्रसादी भी भक्तों ने चढ़ाई। 56 लाख 64640 रुपए की लड्डू प्रसादी से महाकाल को प्रसन्न करने की श्रद्धालुओं ने कोशिश की। इन सबके अलावा अन्य तरह से तीन लाख 21738 रुपए की राशि भगवान को सौंपी गई। इस तरह एक करोड़ 64 लाख 28886 रुपए की राशि की भेंट या अन्य स्वरूप में भगवान महाकाल को मिली।
भस्म आरती, शयन आरती में नहीं अनुमति
भगवान महाकाल को 28 दिसंबर से 2 जनवरी के बीच मिली एक करोड़ 64 लाख से ज्यादा की भेंट उस स्थिति में रही जबकि कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के चलते आम श्रद्धालुजनों को न तो भस्म आरती में अनुमति है और न ही शयन आरती में उनका प्रवेश हो पा रहा है। हालांकि महाकाल को चढ़ी भेंट व दान की राशि में से जो खर्च होते हैं, वह अलग हैं। लड्डू प्रसादी की लागत, अभिषेक व दानपेटियों की राशि में से पुजारी-पुरोहितों को जो राशि दी जाती है, वह इसी से कम होगी।