भोपाल | मध्यप्रदेश के बैंकर्स द्वारा लोन देने में की जाने वाली आनाकानी में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। वीकर सेक्शन के लोन के मामले में सामने आई गड़बड़ी में बैंक आॅफ महाराष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसके द्वारा 59.61 प्रतिशत लोन वीकर सेक्शन को दिया गया है। राज्य सरकार ने इस पर आपत्ति करते हुए कहा है कि जब इस बैंक को इतने का टारगेट ही राज्य स्तर पर नहीं था तो ऐसा कैसे कर दिया गया। बैंक अधिकारियों को इसकी जांच कराने और फिर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।
इसी तरह की स्थिति इंडियन बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक की भी सामने आई है जिनका परफार्मेंस सबसे कमजोर रहा है। बैंकों ने शासन से यह भी पूछा है कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, स्टैंडअप इंडिया और अन्य सरकारी योजनाओं में वीकर सेक्शन को कितना और किस काम के लिए ऋण दिया गया है। बैंकर्स की रिपोर्ट में गड़बड़ी का खुलासा पिछले साल दिए गए आंकड़ों की जांच के बाद हुआ है जिसमें भारी अंतर पाया गया है।
चुनावी साल में सामाजिक ताने बाने को साधने और कमजोर वर्गों को अधिकतम राहत देने के भाजपा सरकार के प्लान में बैंक रोड़ा बन रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एससी-एसटी, स्वसहायता समूहों, अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को योजनाओं के माध्यम से अधिकतम ऋण दिलाने और अन्य सुविधाओं को लेकर लगातार निर्देश दे रहे हैं लेकिन प्रदेश के अफसर सरकार की मंशा के मुताबिक लाभ नहीं दिला पा रहे हैं। बैंकों द्वारा वीकर सेक्शन को दिए जाने वाले लोन का परफार्मेंस एक साल में करीब 20 प्रतिशत आने के बाद इस पर नाराजगी जताते हुए बैंकर्स से इसमें सुधार लाने के लिए कहा गया है।
बैंकों द्वारा दिए गए लोन और रिकवरी की स्थिति की समीक्षा किए जाने के दौरान राज्य सरकार की जानकारी में आया है कि प्रदेश में चालू वित्त वर्ष के पहले मार्च 2023 तक 46.80 लाख स्माल और मार्जिनल फारमर्स को बैंकों ने 51396 करोड़ रुपए का लोन दिया है। इसी तरह 29.10 लाख एससी-एसटी को 26365 करोड़ रुपए लोन के तौर पर दिए गए हैं। टोटल वीकर सेक्शन का लोन 87702 करोड़ रुपए 90.37 लाख लोगों को मिला है।इसमें राज्य सरकार की सबसे ज्यादा प्रायरिटी एससी-एसटी वर्ग को लेकर रही है जिनके लिए पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने चार नई योजनाएं शुरू की थीं। इसके अलावा युवाओं और उद्यमियों के लिए बनाई गई अन्य योजनाओं के माध्यम से भी इस वर्ग के युवाओं को अधिकतम रोजगार के अवसर प्रदान करने लोन दिलाने पर सरकार का फोकस रहा है।
बताया जाता है कि एससी-एसटी वर्ग के युवाओं को दिए गए लोन परफार्मेंस से सरकार खुश नहीं है। इसलिए पिछले दिनों हुई बैठक में इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए बैंकर्स से राज्य सरकार के अफसरों ने कहा कि एससी-एसटी का अलग डेटा तैयार करें और इन्हें लाभ दिलाने का काम तेज करें।बैंकों द्वारा दिए गए पिछले वित्त वर्ष में दिए गए लोन में यह बात सामने आई है कि मार्च 2023 तक बैंकों ने 164761 करोड़ के टारगेट के विपरीत 94164 करोड़ रुपए का कृषि ऋण प्रदेश के किसानों को दिया है जो टारगेट का 57 प्रतिशत है। रीजनल और रूरल, कोआपरेटिव, कमर्शियल बैंकों में 37, 57 और 59 प्रतिशत का अचीवमेंट रहा।एमएसएमई के लिए टारगेट 44945 करोड़ रुपए का रहा जिसके विपरीत 166 प्रतिशत अचीवमेंट हासिल करते हुए 74814 करोड़ रुपए दिए गए।