इंदौर न्यूज़: ट्रस्ट सोसाइटीज का रजिस्ट्रेशन पहले आसानी से हो जाता था. अब उसकी प्रक्रिया काफी जटिल हो गई है. जिन ट्रस्ट की गतिविधि शुरू हो गई है, उन्हें अब सीधे स्थायी रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई करना होगा. एक ट्रस्ट ने दूसरे ट्रस्ट को कोई दान दिया है तो ऐसे दान का सिर्फ 85% ही डिडेक्टिबल होगा यानी 15% भाग पर ट्रस्ट को टैक्स देना होगा. इस प्रावधान के कारण एक ट्रस्ट, दूसरे ट्रस्ट को दान देने से बचेगा.
यह जानकारी दिल्ली से आए सीए डॉ. गिरीश आहूजा ने दी. टैक्स गुरु के नाम से पहचाने जाने वाले सीए आहूजा से शुरू हुई ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ टैक्स प्रैक्टिसनर्स, आइसीएआइ इंदौर शाखा व टैक्स प्रैक्टिसनर्स एसोसिएशन की दो दिनी नेशनल कॉन्फ्रेंस में ‘टैक्सेशन ऑफ चैरिटेबल एंड रिलीजियस ट्रस्ट, सोसाइटी एंड एनजीओ’ विषय पर अपनी बात रख रहे थे. डॉ. आहूजा ने बताया, ट्रस्ट को जो भी दान मिला है, पूरे वित्त वर्ष में प्राप्त दान का दानदाता की डिटेल के साथ रिटर्न फॉर्म 10 बीडी में ऑनलाइन 31 मई के पहले पहले दाखिल करना होगा. कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल के न्यायिक सदस्य विजय पाल राव ने किया.
प्रधान आयकर आयुक्त एसबी प्रसाद ने कहा, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं. सरकार की सीए सदस्यों से काफी उम्मीदें हैं. मुंबई के एडवोकेट व सीए भारत रायचंदानी ने कहा कि जीएसटी आने के बाद विभाग ने कई गिरफ्तारियां कीं, लेकिन इसके पीछे प्रॉपर शिकायतें नहीं थीं. जबकि, कानून का मूल सिद्धांतहै कि बगैर एफआइआर गिरफ्तारी नहीं की जा सकती. एक्ट में कहीं नहीं लिखा है कि टैक्स रिकवरी के लिए गिरफ्तारी की जा सकती है.