Anuppur अनूपपुर: मध्यप्रदेश का प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल अमरकंटक कड़ाके की ठंड का सामना कर रहा है। पिछले दो दिनों से क्षेत्र शीतलहर की चपेट में है और तापमान शून्य के आसपास पहुंच गया है। रविवार सुबह अमरकंटक के नर्मदा तट पर घास में बर्फ की सफेद चादर बिछ गया था। शाम होते ही ठंड का प्रकोप बढ़ जाता है, जिससे लोग घरों में दुबकने को मजबूर हो रहे हैं। ठंड से राहत पाने के लिए स्थानीय लोग और तीर्थयात्री अलाव जलाकर और गर्म चाय का सहारा ले रहे हैं। सुबह और शाम अलाव जलाने का चलन बढ़ गया है।
अमरकंटक में सर्दियों के मौसम का आनंद लेने के लिए पर्यटन पहुंच रहे हैं। पर्यटक ठंड के इस मौसम का आनंद ले रहे हैं, जबकि स्थानीय निवासियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। अमरकंटक में दिसंबर और जनवरी के महीने में तापमान अक्सर शून्य या उससे भी नीचे चला जाता है, जिससे घास, फूल-पत्तियां और यहां तक कि बाहर रखा पानी भी जम जाता है। पूरा क्षेत्र मानो सफेद चादर में लिपटा हुआ प्रतीत होता है। अमरकंटक की इस कड़ाके की ठंड ने क्षेत्र को अनोखा प्राकृतिक सौंदर्य तो दिया है, लेकिन इसके साथ ही कठिन परिस्थितियां भी उत्पन्न की हैं।
शीतलहर के बीच अलाव जलाने की व्यवस्था नदारद
शीतलहर और बढ़ते ठंड के प्रकोप से अमरकंटक नगर ठिठुर रहा है। जहां स्थानीय लोग और तीर्थयात्री ठंड से बचने के लिए अपने स्तर पर अलाव का सहारा ले रहे हैं। वहीं, नगर प्रशासन की ओर से अलाव जलाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। ठंड से जूझ रहे लोगों का कहना है कि प्रशासन की ओर से सार्वजनिक स्थानों पर अलाव की सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं हुई है। कड़ाके की ठंड में गरीब और बेसहारा लोगों को सबसे ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
शीतलहर के कारण ओस जमने लगी है और तापमान शून्य के करीब है। ऐसे में ठंड से बचाव के लिए नागरिक प्रशासन की सक्रियता जरूरी है। स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से ठंड से निपटने के लिए त्वरित कदम उठाने की मांग की है। सीएमओ,अमरकंटक भूपेंद्र सिंह ने कहा, सर्दियों से राहत के लिए अलाव की व्यवस्था की गई है। तीर्थयात्री के लिए भी व्यवस्था है।