गर्मी में करें खेतों की गहरी जुताई, रोग नियंत्रण के साथ बढ़ेगी उर्वरा क्षमता

Update: 2024-05-08 13:22 GMT
रायसेन। रबी सीजन की फसलें कटने के बाद खाली हुए खेत में जो फसल के अवशेष बचे हैं उसमें किसान आग न लगाएं। आग लगाने से न केवल पर्यावरण प्रदूषित होता है बल्कि किसानों के जमीन को भी नुकसान पहुंचता है। ऐसे समय किसान खेतों की गहरी जुताई करें तो कीट, खरपतवार और रोग नियंत्रण तो होगा ही साथ में मिट्टी की उर्वरा क्षमता भी बढ़ेगी।एनपी सुमन उपसंचालक कृषि अधिकारी रायसेन .
●मिट्टी की कठोर परत टूटने से बारिश का पानी धीरे-धीरे रिसकर जमीन के अंदर चला जाता है जिससे जल भरण क्षमता और जल स्तर में वृद्धि होती है।
●फसल अवशेष मृदा में दब जाने से कार्बनिक पदार्थ की मात्रा में वृद्धि व जैविक खाद तैयार हो जाती है।
●मिट्टी की भौतिक संरचना में सुधार, मृदा में हवा का आवागमन बढ़ जाता है जाता है।
●मृदा में सूक्ष्म जीवों की संख्या बढऩे से जैविक पदार्थों का विघटन सर्वाधिक होता है, जिससे भूमि कि उर्वरा शक्ति बढ़ती है।
●जमीन के अंदर छिपे हुए कीटों के अंडे, प्यूपा आदि जमीन के ऊपर आ जाते हैं और तेज धूप के कारण मर जाते हैं।
●खरपतवारों के बीज, रोग फैलाने वाली कवक, बैक्टीरिया व वायरस भी तेज धूप के कारण नष्ट हो जाते हैं।
गर्मी में किसानों के खेत खाली पड़े हैं, कई जगह नरवाई में आग लगाई जा रही है। इससे पर्यावरण व खेतों की उपजाऊ जमीन को नुकसान पहुंच रहा है। कृषि विशेषज्ञों की यदि हम माने तो ऐसे समय किसानों को अपने खेतों की गहरी जुताई करने की आवश्यकता है। इससे न केवल मिट्टी की उर्वरा क्षमता बढ़ेगी, बल्कि खरीफ फसलों का रोग नियंत्रण भी हो सकेगा। जो नरवाई किसान जला रहे हैं वहीं उनके खेतों में जैविक कार्बन को बढ़ाएगी और मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी निश्चित तौर पर बढ़ाती हैं।
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