Damoh : इंसानों के बीच आने लगे बाघ, चार दिन पहले राहगीरों को सड़क पार करते हुए दिखाई दिया

Update: 2024-10-04 07:35 GMT
Damoh दमोह: वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में मौजूद बाघ अब इंसानों के बीच आने लगे हैं। चार दिन पहले एक बाघ राहगीरों को सड़क पार करते हुए दिखाई दिया था, वही बाघ गुरुवार को एक नाले में भरे पानी में आराम फरमाते देखा गया। टाइगर रिजर्व के बाघों ने अपना अलग-अलग ठिकाना बना लिया है, जिसमें एक बाघ झापन रेंज के जंगलों में पहुंच गया है, जो समय-समय पर रात के समय राहगीरों को दिखाई देता है।
वन अमला सभी बाघों की निगरानी उनके पदमार्ग और जंगलों के बीचो-बीच लगे ट्रैप कैमरों से करता है। झापन रेंज के जंगलों में रहने वाले बाघ के गले में आईडी कॉलर नहीं है, इसलिए इनकी पहचान पगमार्ग से होती है। मंगलवार की रात इस बाघ को मुख्य मार्ग पार करते हुए सागर के कुछ राहगीरों ने देखा था। जानकारी मिलते ही वन अमले ने इसकी निगरानी शुरू कर दी थी। साथ ही गांव के लोगों को जागरूक भी किया गया। उसके बाद भी कुछ लोगों ने बाघ को जंगल में देखा और पुष्टि के तौर पर बाघ की फोटो खींची, फिर वहां से चुपचाप निकल गए।
नाले में बैठा था बाघ
बाघ को ग्रामीणों ने जिस जगह देखा था, वह झापन और मुहली रेंज का जंगली सीमावर्ती क्षेत्र है। बाघ दोपहर के समय एक नाले के पानी में बैठकर आराम कर रहा था। ग्रामीणों ने बताया कि वे मवेशियों को लेकर गए थे। जैसे ही उन्हें बाघ दिखा, वे चुपचाप मवेशियों के साथ वापस आ गए और फिर उस जगह नहीं गए, जहां बाघ दिखा था। ग्रामीणों ने मवेशियों को उन जगहों पर भेजना भी बंद कर दिया है। उन्होंने बताया कि यह बाघ यहां घूमता रहता है, लेकिन अभी तक उसने किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है। बाघ को देखने के बाद ग्रामीण भी सतर्क और सुरक्षित रहने लगे हैं। जो बाघ राधा बाघिन से जन्मे हैं, उन्होंने अपना रहवास नोरादेही, सिंगपुर, झापन और सर्रा रेंज के जंगलों में बना रखा है। जबकि बाघिन कजरी और बाघ शंभु डोगरगांव रेंज के अधीन हैं। इन दोनों बाघों के गले में आईडी कॉलर लगा हुआ है, जिसके कारण इनकी लोकेशन मिलती रहती है। मुहली और झापन रेंज के रेंजर नीरज विशेन का कहना है कि बाघ जंगल में रहते हैं, जो उनका घर है। अगर नदी में बाघ दिखा है तो ग्रामीणों को सूचित किया जाएगा कि वे उस क्षेत्र में अपने मवेशी न भेजें। बाकी जानकारी मैं प्राप्त कर रहा हूं।
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