Chhindwaraछिंदवाड़ा। सरकार के निर्देश पर प्रशासन के आला अधिकारी इस वक्त एक पेड़ मां के नाम अभियान चलाकर रोजाना पौधारोपण कर पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी बख़ूबी से निभा रहा है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ वन विभाग के रवैया और जंगल में Forest department के कर्मचारियों की रात्रि गश्त न होने के कारण इन दिनों वन माफिया बेखौफ होकर जंगल के कीमती हरे-भरे सागौन के पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाकर अवैध कटाई में जुटे हुए हैं। जंगल की सुरक्षा के लिए वन विभाग लाख दावे करे लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।
ऐसा ही एक मामला पश्चिम वन मण्डल के अंतर्गत आने वाली सावरी रेंज के ग्राम सलैया से महलारी - बाकुल मार्ग पर स्थित बंजारी माता मंदिर से लगभग 300 मीटर आगे सड़क किनारे से लगे हुए जंगल मे वन माफिया द्वारा हरे भरे लगभग एक दर्जन से अधिक पेड़ो को रातों रात काट लिया गया। पेड़ काटने के बाद कुछ ठूंठ को जलाकर सबूत भी नष्ट करने की कोशिश की गई है।
सड़क के किनारे से जंगल को किया जा रहा नष्ट
जंगल को बचाने का जिम्मा वन विभाग के अधिकारियों के साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों का भी होता है। लेकिन वन विभाग की नजरों के सामने ही जंगल में खुलेआम बेशकीमती सागौन के पेड़ो की कटाई की जा रही है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठता है की आखिकार यह लकड़ी जा कहां रही है। इसकी जानकारी किसी को नहीं है। लेकिन जंगलों में कटे हुए ठूंठ तो नजर आते हैं। परंतु लकड़ी नजर नहीं आ रही है। रातों रात बड़े - बड़े लट्ठों को गाड़ियों में भरकर पहुचाया जा रहा है। लेकिन जिम्मेदार मौन है। वहीं इसी रोड पर वन विभाग का बेरियर भी है। जो बैतूल-छिंदवाड़ा के मुख्य मार्ग पर है । जहां रात में ना कोई अधिकारी होता है। ना ही कर्मचारी होता है। बस इसी बात का फायदा उठाकर तस्कर जंगल से सागौन के लट्ठे सिल्लियां काटकर बेरोकटोक परिवहन कर रहे हैं।
जंगलो में रेत का भी stock
बता दें कि सांवरी रेंज के जंगलो के बीचों बीच कन्हान नदी मौजूद है। बस इसी का फायदा उठाकर रेत तस्करों द्वारा नदी को छलनी कर अवैध रेत उत्खनन का कार्य जोरों पर है। दरअसल बारिश के मौसम में टैक्टर नदियों में नही जाता है। इसी को लेकर पहले ही रेत माफिया ने रेत निकाल कर जंगलों और ग्रामों के पास रेत का स्टॉक करके आसपास के क्षेत्र में महंगे दामों में बेचकर जमकर चांदी काट रहे हैं।
रेंजर साहिबा ने नही उठायाphone...
सांवरी रेंज में पदस्थ रेंजर कीर्ति बाला गुप्ता से जब इस मामले में उनका पक्ष जानने के लिए call किया गया लेकिन उन्होंने अपने पुराने चित परिचित अंदाज में एक बार फिर कॉल रिसीव नही किया। अब आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं। वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी अपने कर्तव्यों को लेकर कितने सतर्क और सजग है।