भोपाल, (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव को भारतीय जनता पार्टी चुनौती के तौर पर ले रही है। यही कारण है कि उसने अपनी पूरी ताकत लगा दी है। वरिष्ठ नेताओं को जमीनी स्तर पर जाकर नाराज और असंतुष्ट लोगों को मनाने के साथ फीडबैक जुटाने की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए बमुश्किल से छह से सात माह का वक्त बचा है। ऐसे में राजनीतिक दलों को जमीनी हकीकत जानने से लेकर कार्यकर्ताओं में जोश भरना एक चुनौती है। इसे भाजपा बेहतर तरीके से समझ रही है और जरूरत के मुताबिक रणनीति पर काम भी कर रही है।
भाजपा ने एक दर्जन से ज्यादा दिग्गज नेताओं को जमीनी स्तर पर जाकर कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं से बातचीत करने की जिम्मेदारी सौंपी है। इन नेताओं के दौरों का सिलसिला भी शुरू हो गया है और वे अपने जिम्मेदारी वाले इलाकों में पहुंच भी रहे हैं। यह नेता क्षेत्रीय नेताओं से बातचीत तो कर ही रहे हैं साथ में वर्तमान विधायक के अलावा पिछले चुनाव में हारे उम्मीदवार की वास्तविक स्थिति का भी ब्यौरा तैयार कर रहे हैं।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने आगामी चुनाव के लिए उम्मीदवारी तय करने से पहले जमीनी आकलन का मन बनाया है, पहले भी दो अलग-अलग स्तरों पर सर्वे हो चुके हैं और पार्टी तक फीडबैक भी आ चुका है, मगर अब वरिष्ठ नेताओं के जरिए पार्टी का संगठन दोहरा काम कर रहा है। पहले तो नाराज और असंतुष्ट नेताओं की मानमनोव्वल की जा रही है, वहीं वास्तविक दावेदार का ब्यौरा भी जुटाया जा रहा है।
राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव मंे कड़ा मुकाबला हुआ था और कांग्रेस ने 114 स्थानों और भाजपा ने 109 स्थानों पर जीत दर्ज की थी। अब भाजपा किसी तरह का जोखिम उठाने को तैयार नहीं है, लिहाजा उसने हर क्षेत्र में अपने नेताओं को मोर्चे पर लगा दिया है।
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