सदभाव व प्रेम को बढ़ाने और निभाने की शपथ लेते हुए मनाया Bhujaria festival
Raisen रायसेन। बुंदेलखंड की खास परंपरा का निर्वहन स्थानीय श्रद्धालु लोगों ने भुजरिया का पूजन कर व एक दूसरे को भुजरियों का आदान प्रदान कर किया गया। इस दौरान महिला पुरूषों बच्चों ओर बुजुर्गो की सामूहिक एकता और सदभाव दिखाई दिया।भुजरियों का एक दूसरे को आदान प्रदान कर बोले साहब सदा ऐसी ही मेहरबानी रखना।दोपहर बाद शहर के अथाईं मोहल्ला नरापुरा शिकारीपुरा, पाटनदेव में लगा भुजरियों का मेला।ढोलनगाडों की थापों पर महिलाओं ने भुजरियों ने परिक्रमा लगाकर निकाली अलग अलग जगहों पर शोभायात्रा।
मालूम हो कि बुंदेलखंड में रक्षाबंधन के दूसरे दिन भुजरियों का पर्व मनाया जाता है। स्थानीय निवासियों द्वारा देवालयों देवी देवताओं के मंदिरों सहित घरों पर गेहूं भुजरियों को बोया जाता है। श्रावण माह के समापन पर रक्षाबंधन पर जहां बहने भाईयों को रक्षा सूत्र बांधती है, वहीं दूसरे दिन भुजरियों के विसर्जन की परंपरा रही है। शहर सहित ग्रामीण अंचलों में भुजरियों का पर्व मनाया गया। इस दौरान महिला पुरूषों ने भुजरियों को ले जाकर मिश्र तालाब घाट स्थित खेड़ापति धाम पर माता रानी के श्रीचरणों में रखा गया एवं उसके बाद तालाब कुम्हरिया तालाब घाट रीछन नदी बेतवा नदी में भुजरियो का पारपरिक रूप से विसर्जन किया गया। इस दौरान शहर में चल समारोह भी दिखाई दिए। मंगलवार को अंचल में भुजरियोां पर्व मनाया गया।इस दौरान शहर में चल समारोह देखे गए महिलाएं अपने सिर पर भुजरिया लेकर गीत गाती चल रही थी।
बीज उपचार और रोपण की वैज्ञानिक परंपरा है....
माना जाता है कि यह भुजरियां एवं जवारे भारतीय कृषि की वैज्ञानिक बीजारोपण की परंपपरा का भी प्रतीक रहा है। किसान भुजरिया बोकर पहली बार यह देखते है कि जिस गेहूं को उन्होंने रबी सीजन के लिए बोवनी के लिए रखा है,ल।वह बीज ठीक है या नहीं। यही परपरा किसानों द्वारा दूसरी बार शारदीय नवरात्र में जवारे बोकर देखी जाती है। यदि दोनों बार बीज ऊग रहा है तो माना जाता है कि यह रबी सीजन के लिए बोवनी फायदेमंद होगी।.