भोपाल: वर्ष 1984 में हुए भोपाल गैस कांड के मामले में जिला अदालत में अहम सुनवाई होगी. इसमें आरोपी कंपनी डॉव केमिकल को अपना पक्ष रखना है. हादसे के 36 साल के इतिहास में यह पहली बार है कि जब कोई आरोपी विदेशी कंपनी का प्रतिनिधि अदालत में पेश होगा. पहली बार समन तामील किया गया है.
गैस पीड़ित संगठनों की ओर से कहा गया कि यह पीड़ितों की बड़ी जीत है. अमरीका के 12 सांसदों के समर्थन के बाद यह संभव हो सका है. मामले में अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिल रहा है. संगठन की रशीदा बी ने बताया कि सीबीआई पिछले 22 सालों से एक भगोड़े अपराधी को शरण देने के लिए यूनियन कार्बाइड की मालिक अमरिकी डॉव केमिकल को ऐसी सजा दिलवाए कि एक मिसाल बने.
उन्होंने बताया कि इस बात की संभावना ज्यादा है कि आरोपी विदेशी कंपनी का प्रतिनिधि आपराधिक मामले पर जवाब देने के लिए अदालत में पेश होगा.
सीबीआइ कर रही मामले में जांच
भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने बताया कि 1987 में सीबीआइ ने यूनियन कार्बाइड पर गैर इरादतन हत्या का आरोप तय किया. 2001 में यूनियन कार्बाइड को डॉव केमिकल ने अधिग्रहित कर लिया. पिछले 18 साल में डॉव केमिकल को भोपाल जिला अदालत द्वारा 7 समन जारी किए जा चुके हैं.
गैस हादसे से जुड़े मामलों पर देना होगा जवाब
यूनियन कार्बाइड के उत्तराधिकारी के रूप में, डॉव केमिकल भोपाल जिला अदालत में कार्बाइड के खिलाफ लंबित आरोपों के लिए जवाबदेह है. भोपाल अदालत में पेश होने वाली कंपनी भारतीय दंड संहिता की धारा 107 के तहत अपराध के लिए उकसाने के आरोप के लिए भी जवाबदेह है. बताया गया कि 1992 के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के भारत में कार्बाइड की संपत्तियों की कुर्की के आदेश के बाद भी भारत में यूनियन कार्बाइड के उत्पादों की बिक्री के सभी साधन प्रदान किए थे.