झारखंड में चल रहा भाषा विवाद का मामला राष्ट्रपति भवन पहुंचा, सांसद और विधायकों ने किया यह काम

झारखंड में चल रहा भाषा विवाद का मामला झारखंड से निकल कर राष्ट्रपति भवन तक पहुंच गया है।

Update: 2022-02-09 04:59 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। झारखंड में चल रहा भाषा विवाद का मामला झारखंड से निकल कर राष्ट्रपति भवन तक पहुंच गया है। गिरीडीह के सांसद चंद प्रकाश चौधरी, जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो, पुरुलिया के सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो और गोमिया के विधायक डॉ. लंबोदर महतो ने मंगलवार को नई दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। इन नेताओं ने संयुक्त रूप से झारखंड सरकार द्वारा राज्य के बोकारो व धनबाद जिले में भोजपुरी, मगही और अन्य जिले में मैथिली एवं अंगिका को क्षेत्रीय भाषा की सूची में शामिल करने पर चल रहे व्यापक आंदोलन एवं इसको लेकर लोगों में व्याप्त आक्रोश से अवगत कराया।

नेताओं ने राष्ट्रपति से भोजपुरी, मैथिली और अन्य भाषाओं को क्षेत्रीय भाषा की सूची से हटाने और झारखंड की 9 जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं को ही क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में शामिल कराने का आग्रह किया। इस क्रम में राष्ट्रपति से झारखंड, पश्चिम बंगाल एवं ओडिशा की टोटेमिक कुड़मी जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने आग्रह किया। उन्हें इस बात से अवगत कराया कि 1913 से 1931 की अधिसूचना में टोटेमिक कुड़मी को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किया गया था, मगर 1950 में राजनीति कारणों से टोटेमिक कुड़मी को अनुसूचित जनजाति की सूची से हटा दिया गया।
इसको देखते हुए पुन: टोटेमिक कुड़मी को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करना श्रेयस्कर रहेगा। राज्य के तीन सांसदों व विधायक ने राष्ट्रपति को झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) में व्याप्त अनियमितता की ओर उनका ध्यान आकृष्ट कराया। सातवीं से लेकर दसवीं जेपीएससी में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं बरती गई हैं। इसकी उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषी पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है। राष्ट्रपति को यह भी बताया गया कि झारखंड में पिछड़ी जाति की आबादी 55 फीसदी है। ऐसे में पिछड़ी जाति को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। राष्ट्रपति को इन नेताओं ने अलग-अलग ज्ञापन भी सौंपा।
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