हेमंत सोरेन से जुड़े शेल कंपनी मामले में सरकार ने हाईकोर्ट में दायर की हस्तक्षेप याचिका, टल सकती है आज की सुनवाई

Update: 2022-07-05 03:37 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) और उनके करीबियों के शेल कंपनियों में निवेश और अनगडा में माइनिंग लीज आवंटन मामले में गुरुवार को जनहित याचिका पर सुनवाई हुई थी. जिसके बाद कोर्ट (Jharkhand Highcourt) ने इस मामले में सुनवाई के लिए आज यानि 5 जुलाई की तारीख तय की थी, लेकिन आज सुनवाई होने के आसार कम ही हैं. दरअसल आज मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत नहीं बैठेगी. यह मामला इसी अदालत में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है. मामले की अगली सुनवाई की तिथि अभी निर्धारित नहीं की गई है. इस याचिका पर अब अगले हफ्ते सुनवाई होने की संभावना है.

बता दें कि गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और महाधिवक्ता ने अपना पक्ष रखा. इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने खंडपीठ से अपना पक्ष रखने के लिए और समय की मांग की. सभी पक्ष की दलील सुनने के बाद खंडपीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई पांच जुलाई निर्धारित की थी.
सरकार ने हस्तक्षेप याचिका दायर की
सीएम हेमंत सोरेन और उनके करीबियों के शेल कंपनी चलाने के मामले में सरकार ने हस्तक्षेप याचिका दायर की है. सोमवार को अधिकारी चंद्रभूषण प्रसाद ने याचिका दायर कर याचिकाकर्ता शिवशंकर शर्मा पर अदालत को गुमराह करने का आरोप लगाया है. इस याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने सीएम की पत्नी और दूसरे रिश्तेदारों के स्वामित्व वाली कंपनी सोहराई लाइव स्टॉक प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ गलत जानकारी दी है.
राज्य के उद्योग विभाग ने कंपनी को औद्योगिक उद्देश्यों के लिए 11 एकड़ जमीन आवंटित की थी, बाद में उस लीज रद्द कर दिया गया. याचिकाकर्ता ने कंपनी की पूंजी और जमीन आवंटन पर गलत शपथपत्र दाखिल किया है.
याचिकाकर्ता ने दायर की है दो जनहित याचिका
याचिकाकर्ता शिवशंकर शर्मा ने झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर सीएम हेमंत सोरेन के करीबियों द्वारा शेल कंपनियों में निवेश का आरोप लगाया है. साथ ही मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. इसके अलावा प्रार्थी की ओर से दूसरी जनहित याचिका भी दायर की गई है. इसके तहत सीएम हेमंत सोरेन को अनगड़ा में 88 डिसमिल जमीन में माइनिंग लीज आवंटन मामले में कार्रवाई करने की मांग की है. प्रार्थी ने लीज आवंटन को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा-9ए का उल्लंघन बताया है.
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