धनबाद न्यूज़: बगैर पूर्णता (कंप्लीशन सर्टिफिकेट) व अधिभोग प्रमाणपत्र (आक्यूपेंसी सर्टिफिकेट) के ही धनबाद में फ्लैटों का निबंधन हो रहा है. यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा है. ऐसा करना तय नियमों का उल्लंघन है. दावा किया जा रहा है कि नियमों की अनदेखी कर जिलेभर में तीन हजार से भी अधिक फ्लैटों का निबंधन कर दिया गया है.
मामले की शिकायत मुख्य सचिव से की गई है. मुख्य सचिव को आवेदन देकर इस मामले की व्यापक जांच की मांग की गई है. शिकायतकर्ता का दावा है कि इस मामले की जांच कराई गई तो की अधिकारियों की गर्दन फंस सकती है. साथ ही साथ अधिकारी, अपार्टमेंट बनाने वाले तथा निबंधन कार्यालयों के अधिकारियों के बीच नेक्सस (अनैतिक गठजोड़) का भी पर्दाफाश हो सकता है. इस खेल में लाखों के वारे-न्यारे किए जाने का आरोप भी शिकायतकर्ताओं ने लगाया है. साथ ही साथ गैरमजरूआ जमीन पर 38 बहुमंजिली इमारत (अपार्टमेंट) बना दिए जाने की भी शिकायत की गई है.
क्या है शिकायत में शिकायत पत्र में आरोप लगाया गया है कि तत्कालीन प्रधान सचिव सह निबंधक महानिरीक्षक रांची की ओर से 27 अगस्त 2013 में ही आदेश जारी किया गया था. इसमें झारखंड अपार्टमेंट ऑनरशिप अधिनियम 2011 एवं निबंधन नियमावली 1908 का अक्षरश पालन करने को कहा गया था. इसमें इसी अधिनियम में पूर्णता प्रमाणपत्र तथा अधिभोग प्रमाणपत्र के बाद ही निबंधन करने की बात कही गई थी.
क्या हुई गड़बड़ी शिकायत पत्र में दावा किया गया है कि आदेश पत्र जारी होने के बाद 03 सितंबर 2013 को तत्कालीन झमाडा प्रबंध निदेशक, तकनीकी सदस्य झमाडा, अवर निबंधक तथा तत्कालीन सरकारी अधिवक्ता की कमेटी बनी. कमेटी ने निबंधक महानिरीक्षक के आदेश में संशोधन करने हुए प्लैटों के निबंधन की अलग व्यवस्था बनाई गई. इसमें निबंधन के समय पूर्णता व अधिभोग प्रमाणपत्र की आवश्यकता को गौण कर दिया गया. निर्देश दिया गया कि निबंधन के बाद अपार्टमेंट बनानेवाले दोनों सर्टिफिकेट ले सकते हैं. शिकायत पत्र में दावा किया गया है कि इसी आदेश का हवाला देकर निबंधन कराया जा रहा है, लेकिन निबंधन के बाद प्लैट बनाने वाले न तो पूर्णता प्रमाणपत्र ले रहे हैं न ही अधिभोग प्रमाणपत्र.
उठ रहे सवाल शिकायत पत्र में आरोप लगाया गया है कि प्रधान सचिव स्तर के अधिकारी के आदेश को क्या कनीय अधिकारियों की कमेटी संशोधित कर सकती है. अगर यह सही है तो फिर कमेटी की अनुशंसा के एक भाग (बगैर पूर्णता व अधिभोग प्रमाणपत्र) के भी निबंधन कराया जा सकता है पर ही अमल किया जा रहा है. कमेटी की दूसरी अनुशंसा- निबंधन के बाद अपार्टमेंट निर्माताओं की ओर से दोनों तरह के सर्टिफिकेट लेने की अनुशंसा पर अमल क्यों नहीं हो रहा है.