Ranchi बड़े वकील भी मामले को झूठा साबित नहीं कर सके
मामले को झूठा साबित नहीं कर सके
झारखण्ड सोची-समझी साचिश के तहत किए गए अपराध को छुपाने के लिए बड़े-बड़े से वकीलों का सहारा भी काम नहीं आता है. जब पीड़ित/पीड़िता अपने पूर्व के फर्दबयान पर कायम रहे. तारा शाहदेव प्रकरण में ऐसा ही हुआ.
पीड़िता को गवाही के दौरान जितनी मजबूती से अदालत के समक्ष पक्ष रखी. उतनी ही मजबूती से बचाव पक्ष के अधिवक्ता के जिरह के दौरान उसके कठिन से कठिन सवाल का जवाब दिया. बचाव पक्ष के वकील की कोशिश रही किसी तरह उसको जिरह के दौरान पूर्व के बयान को तोड़ा जाए. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सीबीआई ने जिस वैज्ञानिक तरीके से जांच की और एक-एक सबूत को अदालत में पेश करने के पहले उसकी वैज्ञानिक जांच भी कराई थी. सीबीआई ने गवाही पूरी की. इसके बाद आरोपियों का बयान दर्ज किया गया. आरोपियों के ओर से चार गवाहों को प्रस्तुत किया गया. अदालत के फैसले को वहां मौजूद वकीलों ने तो सराहा ही, साथ ही कईयों ने फोन करके फैसले को एतिहासिक बतलाया है.
सीबीआई ने पांच तो बचाव ने 22 तारीखों में बहस की
सीबीआई की बहस पूरी होने के बाद बचाव पक्ष ने एक अगस्त 2023 से बहस शुरू की थी. डे-टू-डे बहस चली. बचाव पक्ष ने अपनी बहस पूरी करने के लिए 22 निर्धारित तारीखें ली. बहस के दौरान रंजीत सिंह कोहली अदालत में मौजूद रहता था.
पीड़िता को मुआवजा, कॉपी जजमेंट की डालसा पहुंची
अदालत ने जजमेंट पास करने के बाद मामले की पीड़िता को उचित मुआवजा के लिए जजमेंट की कॉपी जिला विधिक सेवा प्राधिकार रांची (डालसा) को भेज दिया गया है. जल्द ही डालसा आगे की कार्यवाही करते हुए पीड़िता को उचित मुआवजा देने की कोशिश करेगा.