मेकॉन के इंजीनियर की 1.28 करोड़ की संपत्ति जब्त, ईडी की बड़ी कार्रवाई

सीबीआई ने उपेंद्र नाथ मंडल के खिलाफ 30 अक्टूबर 2017 को मामला दर्ज किया था

Update: 2022-04-27 16:44 GMT
रांचीः प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई करते हुए मेकॉन इंडिया के मेटालर्जिक्ल विंग के सीनियर मैनेजर उपेंद्र नाथ मंडल और उनकी पत्नी सुप्रीति मंडल की 1.28 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है. इसमें एक डुप्लेक्स अपार्टमेंट और सुप्रीति मंडल की एक कार शामिल है. 27 दिसंबर 2020 को सीबीआई ने चार्जशीट दायर की थी. चार्जशीट के आधार पर ईडी ने दोनों आरोपियों के खिलाफ मनी लाउंड्रिंग का मामला दर्ज किया था.
सीबीआई ने उपेंद्र नाथ मंडल के खिलाफ 30 अक्टूबर 2017 को मामला दर्ज किया था. मेकॉन अधिकारी मंडल पर आरोप है कि उन्होंने दोनों कंपनियों को काम दिलाने के बदले घूस के रूप में 1 करोड़ 42 लाख 94 हजार रुपये लिए. इस रकम को उपेंद्र नाथ मंडल ने अपने और अपने रिश्तेदारों को बैंक खातों में डलवाया. मेकॉन में प्रोजेक्ट कार्डिनेटर के तौर पर काम करते हुए उपेंद्र नाथ ने दो अलग अलग टेंडर में तकनीकी बीडिंग में गड़बड़ी कर दोनों कंपनियों को लाभ पहुंचाया था.
दुर्गापुर स्टील प्लांट की ओर से 11 मई 2013 को टेंडर निकाला गया था. इस टेंडर को जील इंडिया केमिकल्स समेत अन्य कंपनियों ने भरा था. उपेंद्र नाथ ने इस टेंडर के टेक्निकल बीडिंग की जांच की थी और टेंडर अप्रेजल रिपोर्ट दिया था. इसके बाद टेंडर जील इंडिया को मिला था. हालांकि, जांच में यह तथ्य आया कि जील इंडिया टेंडर लेने के योग्य नहीं था. कंपनी के पास पर्याप्त कार्य अनुभव नहीं था. सीबीआई ने मामले की जांच के दौरान यह तथ्य पाया था कि काम दिलाने के बदले उपेंद्र नाथ मंडल ने 48 लाख 55 हजार की राशि जील इंडिया कंपनी से घूस के तौर पर ली थी. 12 जून 2013 से 15 जून 2016 के बीच घूस की राशि उपेंद्र नाथ मंडल, रिश्तेदारों और परिचितों के बैंक खातों में डाली गई थी.
बोकारो स्टील प्लांट की ओर से 3 सितंबर 2014 को टेंडर निकाला गया था. इस टेंडर की टेक्निकल बीड की जांच उपेंद्र नाथ मंडल ने की थी. इसके बाद मार्च 2015 में वर्क आर्डर शिव मशील टूल्स को दिया गया था. इस मामले में दायर चार्जशीट में बताया गया है कि घूस के तौर पर कंपनी से 94 लाख 39 हजार ली गई थी. यह राशि 3 अगस्त 2015 से 2 अगस्त 2018 के बीच अलग अलग बैंक खातों में डाली गई थी. बोकारो और दुर्गापुर स्टील प्लांट में पदस्थापित होने के दौरान कई वित्तीय अनियमितता की है.
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