झारखंड कॉन्सीक्वेंसल सीनियोरिटीः एससी,एसटी कर्मियों को वरीय पद पर भी मिलेगा आरक्षण का लाभ

झारखंड में प्रोन्नति में मिले आरक्षण का लाभ आरक्षित श्रेणी के कर्मियों को वरीय पद पर भी जारी रह सकता है।

Update: 2022-02-09 05:23 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। झारखंड में प्रोन्नति में मिले आरक्षण का लाभ आरक्षित श्रेणी के कर्मियों को वरीय पद (पदसोपान) पर भी जारी रह सकता है। इस प्रकार सामान्य वर्ग के कर्मी जो नियुक्ति के समय अपने साथ या बाद की आरक्षित श्रेणी के कर्मियों से कनीय हो गये हैं, वह बाद के पदों पर भी अपने आरक्षित श्रेणी के कर्मियों से वरीय नहीं हो पायेंगे। राज्य सरकार अपने कर्मियों की प्रोन्नति में कर्नाटक सरकार की तर्ज पर नये प्रावधानों को लाने की तैयारी कर रही है।

सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार एससी, एसटी कर्मियों के लिये कॉन्सीक्वेंसल सीनियोरिटी (परिणामी वरिष्ठता) ला सकती है। जानकारों के मुताबिक संविधान के 85 वें संशोधन के माध्यम से अनुच्छेद 16 (4-क) को जोड़ कर कॉन्सीक्वेंसल सीनियोरिटी का प्रावधान किया गया था। वस्तुत: कॉन्सीक्वेंसल सीनियोरिटी से तात्पर्य यह है कि प्रोन्नति में मिले आरक्षण का लाभ आरक्षित श्रेणी के कर्मियों को वरीय पद (पदसोपान) पर भी मिलता रहेगा। इस प्रकार सामान्य वर्ग के कर्मी जो नियुक्ति के समय अपने साथ या बाद के आरक्षित श्रेणी के कर्मियों से कनीय हो गये हैं वह बाद के पदों पर भी अपने आरक्षित श्रेणी के कर्मियों से वरीय नहीं हो पायेंगे।
कर्नाटक मॉडल पर तैयारी
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक सरकार द्वारा 2002 में इस निमित बनाये गये कानून को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पवित्रा (एक) मामले में संविधान के विरुद्ध बता कर गैर कानूनी करार दिया गया था। इसके बाद कर्नाटका सरकार द्वारा रतना प्रभा कमेटी का गठन कर अनुसूचित जाति और जनजाति के कर्मियों के संबंद्ध में आंकड़े एकत्रित किये गये और इन आंकड़ों के आधार पर 2018 में एक नया कानून बनाया गया। इसे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पवित्रा (दो) मामले में विधिसम्मत करार दिया गया।
सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार पवित्र दो के निर्णय के आधार पर ही प्रस्तावित अध्यादेश या विधेयक की ओर से बढ़ रही है। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अभी हाल में 28 जनवरी को न्याय निर्णय में शीर्ष न्यायालय के तीन सदस्यीय खंडपीठ द्वारा पवित्रा (दो) में दिये गये निर्णय को कुछ मामलों में खारिज कर दिया गया है। ऐसे में देखना होगा कि राज्य सरकार इस कठिन मुद्दे को किस प्रकार साधती है। पूर्व में विधानसभा की विशेष समिति द्वारा इस विषय को लेकर एक विस्तृत प्रतिवेदन दिया गया था, जिसके बाद से राज्य सरकार के कर्मियों की प्रोन्नति लगाई गई। राज्य सरकार द्वारा अधिकारियों की उच्च स्तरीय समिति द्वारा भी एससी, एसटी कर्मियों के सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व की स्थिति की जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपी गई है।
झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा अपने एक निर्णय में सरकार द्वारा प्रोन्नति पर लगाई गई रोक को गैर कानूनी बताया गया है। ऐसे में राज्य सरकार के समक्ष एक कठिन परिस्थिति है जिसका राजनैतिक और विधिक समाधान वह किस प्रकार ढूंढ़ पायेंगे यह आगे देखना होगा।
प्रोन्नति पर लगी रोक जल्द हटेगी
हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में झारखंड सरकार अगले एक दो दिन में प्रोन्नति पर लगाई गई रोक हटाने जा रही है। इस आधार पर फिलहाल पूर्व की भांति सरकारी कर्मियों को प्रोन्नति मिलती रहेगी। इसके बाद आगे के लिये विधेयक लाने की तैयारी की जा रही है।
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