झारखंड के आंदोलनकारियों को हर माह पेंशन देगी हेमंत सरकार, पहचान कार्य शुरू

झारखंड (Jharkhand ) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अलग झारखंड राज्य बनाने के आंदोलन में शामिल रहे सभी आंदोलनकारियों की पहचान के कार्य की शुक्रवार को शुरुआत की और घोषणा की कि आंदोलन में किसी भी तरह की भूमिका निभाने वालों को 3,500 रुपये से लेकर सात हजार रुपये तक की पेंशन एवं अन्य लाभ दिये जाएंगे.

Update: 2022-06-04 04:43 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। झारखंड (Jharkhand ) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अलग झारखंड राज्य बनाने के आंदोलन में शामिल रहे सभी आंदोलनकारियों की पहचान के कार्य की शुक्रवार को शुरुआत की और घोषणा की कि आंदोलन में किसी भी तरह की भूमिका निभाने वालों को 3,500 रुपये से लेकर सात हजार रुपये तक की पेंशन एवं अन्य लाभ दिये जाएंगे. इस उद्देश्य से आज यहां सचिवालय में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Jharkhand Chief Minister Hemant Soren) ने कहा, एक-एक आंदोलनकारी को पूरा मान-सम्मान और अधिकार देने का राज्य सरकार (Jharkhand Government) ने संकल्प लिया है. इस आंदोलन के अंतिम पंक्ति में शामिल आंदोलनकारियों को भी चिन्हित कर उनका हक दिया जाएगा.

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने आंदोलनकारी चिन्हितीकरण आयोग के 'लोगो' और 'आवेदन प्रपत्र' का विमोचन किया. इसके द्वारा आंदोलनकारियों की नए सिरे से पहचान कर सूचीबद्ध किया जाएगा.
झारखंड के आंदोलनकारियों को पेंशन देगी सरकार
मुख्यमंत्री ने कहा कि नया आवेदन प्रपत्र काफी सरल बनाया गया है, ताकि हर आंदोलनकारी आसानी से अपने दावे को आयोग के समक्ष पेश कर सके. उन्होंने कहा कि झारखंड की धरती ने कई वीर सपूतों को जन्म दिया है, जिन्होंने देश के लिए खुद को न्यौछावर कर दिया. उन्होंने दावा किया कि अलग झारखंड राज्य के लिए हुआ आंदोलन भी देश की आजादी की लड़ाई से कम नहीं है. सोरेन ने कहा कि तीन माह से कम जेल में रहने वाले आंदोलनकारियों को 3500 रुपये प्रति माह और आंदोलन के दौरान जेल में छह माह से अधिक बिताने वालों को सात हजार रुपये प्रति माह की पेंशन मिलेगी.
आंदोलनकारियों को किया जा रहा है चिन्हित
सोरेन ने कहा, "आरंभिक वर्षों में तो मात्र दो हज़ार के लगभग ही आंदोलनकारी चिन्हित किए गए थे. इस आंकड़े को देखकर मुझे लगा कि अलग राज्य के लिए इतना लंबा संघर्ष चला है तो आंदोलनकारियों की संख्या इतनी कम नहीं हो सकती." उन्होंने कहा, "मैंने झारखंड आंदोलनकारियों की पहचान के लिए नया स्वरूप बनाया है ताकि सभी को सूचीबद्ध कर उन्हें सरकार से मिलने वाले लाभ से जोड़ा जा सके." मुख्यमंत्री ने कहा कि जब झारखंड अलग राज्य आंदोलन की शुरुआत हुई थी तो लोगों को लगा था कि आदिवासी समुदाय के लिए यह असंभव सा है, लेकिन, आदिवासी और धरती पुत्र पूरे दृढ़ संकल्प के साथ आंदोलन को धार देते रहे और आखिरकार झारखंड अलग राज्य के रूप में अपने सपने को साकार करने में कामयाब रहे.
ये भी पढ़ें
Image
खेरागढ़ ब्लास्ट केस-2014: 5 साल पहले गिरफ्तार आरोपी मूसा दोषी करार, NIA की विशेष अदालत ने सुनाई उम्रकैद की सजा
Image
CM हेमंत सोरेन को हाई कोर्ट से बड़ा झटका, शेल कंपनी और अवैध खनन लीज की PIL पर होगी सुनवाई
Image
Sarkari Naukri 2022: झारखंड कृषि विभाग में जल्द जारी होगी 1047 पदों पर वैकेंसी, भरे जाएंगे पशु डॉक्टरों समेत कई खाली पद
Image
आय से अधिक संपत्ति मामले में सोरेन सरकार ने दिए जांच के आदेश, बीजेपी नेता बोले- बर्बाद ए झारखंड करने को बस एक ही उल्लू काफी था…
राज्य तो मिला, लेकिन चुनौतियां कई थी-बोले सीएम
मुख्यमंत्री ने कहा कि लंबे संघर्ष और आंदोलन के बाद हमें अलग राज्य तो मिला, लेकिन उसके साथ कई चुनौतियां भी खड़ी थी. सबसे बड़ी चुनौती झारखंड आंदोलनकारियों को चिन्हित करने की थी. आरंभिक वर्षों में तो मात्र दो हज़ार के लगभग ही आंदोलनकारी चिन्हित किए गए थे . इस आंकड़े को देखकर मुझे लगा कि अलग राज्य के लिए इतना लंबा संघर्ष चला है तो आंदोलनकारियों की संख्या इतनी कम नहीं हो सकती है. मुझे पूरा विश्वास था कि अलग राज्य के आंदोलन में हजारों- हजार लोगों ने अपना पूरा तन- मन झोंक दिया था. ऐसे में आंदोलनकारियों को कैसे मान- सम्मान और अधिकार से अलग रखा जा सकता है. इस पर गंभीरता से मंथन करते हुए मैंने झारखंड आंदोलनकारियों की पहचान के लिए नया स्वरूप बनाया है, ताकि सभी को सूचीबद्ध कर उन्हें सरकार से मिलने वाले लाभ से जोड़ा जा सके.
Tags:    

Similar News