Chandil डैम का जलस्तर बढ़ने के मामले की जांच कराएं – संजय सेठ

Update: 2024-09-22 11:43 GMT
Chandil चांडिल : केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री सह रांची के सांसद संजय सेठ ने चांडिल डैम के विस्थापितों के मुद्दे को लेकर झारखंड सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है. मंत्री संजय सेठ ने बीते दिनों चांडिल डैम का जलस्तर बढ़ाने और विस्थापित गांवों को जलमग्न करने को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने पूरे प्रकरण की जांच करने एवं दोषियों पर कार्रवाई करने के लिए विस्थापितों, जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों की एक स्वतंत्र कमेटी बनाने को कहा है. उन्होंने पत्र में कहा है कि चांडिल डैम अभिशाप बन चुका है. जिस सोच के साथ इस डैम का निर्माण 40 वर्ष पूर्व आरंभ किया गया था, वह सोच तो समाप्त हुई ही है. अब यह डैम इस क्षेत्र के लोगों के लिए काल बनता जा रहा है. प्रत्येक वर्ष भीषण बारिश के कारण विस्थापित गांव जलमग्न होते हैं. इससे लोगों के घरों में पानी भर जाता है. दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रत्येक वर्ष आने वाली इस आपदा की जानकारी होने के बावजूद प्रशासनिक स्तर पर कोई पूर्व तैयारी नहीं की जाती है. उसका परिणाम यह होता है कि हर साल क्षेत्र के लोग इस समस्या से जूझते हैं. बीमार पड़ते हैं, संक्रमण का खतरा झेलते हैं. यह उनकी नियती में शामिल हो चुका है.
 12 फाटक एक साथ खोलने से जमशेदपुर में बनी बाढ़ की स्थिति
मंत्री संजय सेठ ने पत्र में कहा है कि दुखद पहलू यह है कि परियोजना अधिकारी, जिला प्रशासन या राज्य सरकार का भी इस गंभीर मसले पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं है. अभी बीते हफ्ते जब भारी बारिश होने का पूर्वानुमान था, उसके बावजूद सरकार और परियोजना से जुड़े अधिकारियों सहित जिला प्रशासन ने पूर्व में कोई कदम उठाना जरूरी नहीं समझा, जिससे डैम का जलस्तर बढ़ता गया और ईचागढ़, नीमडीह और कुकड़ू प्रखंड के कई गांव में डैम का पानी घुस गया और कई गांव जलमग्न हो गए. डैम का जलस्तर 183 मीटर से अधिक हुआ, तब धीरे-धीरे डैम का फाटक खोला गया. इसका परिणाम यह हुआ कि चांडिल अनुमंडल के तीन दर्जन से अधिक गांव जलमग्न हो गए. इसके अलावे एक साथ डैम के 12 फाटक को खोले जाने के कारण कपाली समेत जमशेदपुर में बाढ़ की स्थिति बन गई. यदि पूर्व में इसकी तैयारी की गई होती तो शायद ऐसी स्थिति नहीं आ पाती.
 सुनिश्चित करें कि भविष्य में ना हो ऐसी घटना
मंत्री संजय सेठ ने मुख्य सचिव से कहा है कि वर्तमान समय में स्थिति यह है कि इस डैम के निर्माण से विस्थापित हुए तीन दर्जन से अधिक गांव कई दिनों से जलमग्न हैं. हजारों विस्थापित परिवार बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. 100 से अधिक कच्चे मकान ढह चुके हैं. सैकड़ों परिवार का दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है. बच्चे और युवा स्कूल कॉलेज नहीं जा पा रहे हैं. लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी नहीं जी पा रहे हैं. घरों में चूल्हे तक जलना मुश्किल है. सूखे राशन पर लोग निर्भर हैं. यह निश्चित रूप से बहुत ही गंभीर मामला है. परंतु जिला प्रशासन डैम से संबंधित परियोजना अधिकारी और राज्य सरकार इस मामले में बिल्कुल भी गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं.
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