झारखंड के सरकारी स्कूलों में अब शिबू सोरेन की जीवनी पढ़ेंगे बच्चे, बीजेपी ने विरोध में कही ये बात
झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक, सुप्रीमो और राज्य में दिशोम गुरु के नाम से जाने वाले शिबू सोरेन स्कूल के सिलेबस में पढ़े जाएंगे।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक, सुप्रीमो और राज्य में दिशोम गुरु के नाम से जाने वाले शिबू सोरेन स्कूल के सिलेबस में पढ़े जाएंगे। झारखंड सरकार के इस निर्णय पर भारतीय जनता पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने बोकारो में इसकी घोषणा की। शिक्षा मंत्री ने कहा कि झारखंड आंदोलन से जुड़े बिनोद बिहारी, महतो, सुनील महतो को भी सिलेबस शामिल किया जाएगा।
इसके पहले सरकार ने सभी सरकारी स्कूलों को हरे रंग से रंगने का निर्णय लिया। सरकार में शामिल जेएमएम की सहयोगी पार्टी कांग्रेस ने जहां इसका स्वागत किया, वहीं विपक्षी दल बीजेपी ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया है।
बीजेपी का कहना है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार स्कूली शिक्षा का राजनीतिकरण कर रही है। भाजपा की ओर से यह प्रतिक्रिया तब आई है जब 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद पार्टी पर देश मे भगवाकरण के आरोप लग रहे हैं।
सरकार के इस फैसले को सही बताते हुए शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन, विनोद बाबू और निर्मल महतो ने झारखंड के निर्माण में अहम योगदान दिया। इन्हीं लोगों के प्रयास से 2000 में झारखंड अलग राज्य बना। आने वाली पीढ़ियों को इनके बारे में जानना चाहिए। इसी उद्देश्य से इन्हें स्कूल के सिलेबस में शामिल किया जा रहा है।
कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा है कि सभी लोगों को इसका समर्थन करना चाहिए क्योंकि सरकार स्कूली शिक्षा के लिए सही कदम उठा रही है।
इधर भाजपा के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कटाक्ष करते हुए पूछा है कि क्या सरकार बच्चों को शिबू सोरेन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बारे में भी बताएगी? उन्होंने कहा कि गुरु जी 90 के दशक में ने केंद्र की नरसिम्हा राव सरकार से रुपए लिए और चुप हो गए थे। उस समय ही झारखंड अलग राज्य बनाने का बेहतर मौका था। लेकिन गुरु जी की चुप्पी की वजह से यह नहीं हो सका। अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी तो अलग झारखंड राज्य बनाया जा सका।
बीजेपी प्रवक्ता ने यह भी कहा कि शिबू सोरेन पर संसद में वोट देने लिए के लिए नोट लेने का भी आरोप है। ऐसे में हमारे बच्चों को इसकी जानकारी भी दी जाएगी?
बताते चलें कि झारखंड के सीनियर लीडर राजसभा सदस्य शिबू सोरेन 78 साल के हो चुके हैं। शिबू सोरेन का जन्म रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में हुआ था। 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने संथाल नवयुवक संघ की स्थापना की। 1972 में बंगाली ट्रेड यूनियन के नेता एके राय, बिनोद बिहारी महतो और शिबू सोरेन ने मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया। शिबू सोरेन ने जमींदारों के खिलाफ आंदोलन किया। गुरुजी के साथ काम करने वाले बिनोद बिहारी महतो का निधन 1991 में हो गया। झारखंड में समाज सुधार के क्षेत्र में विनोद बिहारी महतो का अहम योगदान है। निर्मल महतो की मात्र 36 साल की उम्र में 8 अगस्त 1987 को हत्या कर दी गई थी।