झारखंड में अफ्रीकन स्वाइन फीवर का बढ़ा कहर, हाई अलर्ट पर पशु चिकित्सक

अफ्रीकन स्वाइन फीवर से बड़ी संख्या में हो रही सूअरों की मौत के बाद पशुपालन निदेशक शशि प्रकाश झा ने रविवार को कांके स्थित सूकर फार्म का निरीक्षण किया।

Update: 2022-08-29 02:10 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफ्रीकन स्वाइन फीवर से बड़ी संख्या में हो रही सूअरों की मौत के बाद पशुपालन निदेशक शशि प्रकाश झा ने रविवार को कांके स्थित सूकर फार्म का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान के निदेशक डॉ विपिन महथा व अन्य विशेषज्ञ भी उपस्थित थे। निरीक्षण के बाद उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें राज्य में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के फैलाव को रोकने को लेकर कई निर्णय लिए गए।

पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान, कांके के निदेशक द्वारा राज्य स्तर पर एक रैपिड रिस्पांस टीम का का गठन किया गया। कनीय शोध पदाधिकारी डॉ राजेश कुमार को अफ्रीकन स्वाइन फीवर का नोडल अफसर बनाया गया। साथ ही जिला स्तर पर सभी जिलों में पांच-पांच रैपिड रिस्पांस टीम बनाने का निर्देश दिया गया।
पशुपालन निदेशक डॉ शशि प्रकाश झा ने कहा कि भोपाल स्थित आईसीएआर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्युरिटी एनिमल डिजीज ने सूअरों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि की है। भारत सरकार के पशुपालन आयुक्त ने इस बीमारी की रोकथाम के लिए कार्ययोजना भी राज्य सरकार को उपलब्ध करायी है। इसी कार्ययोजना के आधार पर बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए एहतियाती उपाय किए जा रहे हैं।
पशु चिकित्सकों को हाई अलर्ट पर रखा गया
डॉ झा ने कहा कि सूकर प्रक्षेत्र कांके में इस बीमारी की पुष्टि हो चुकी है। प्रक्षेत्र को एपिक सेंटर मानकर एक किमी की परिधि में सभी सूकरों का डेटाबेस बनाया जा रहा है। इस आधार पर निगरानी का निर्देश दिया गया है। एपिक सेंटर के 10 किमी तक सर्विलांस जोन बनाकर डॉक्टरों को अलर्ट किया गया है।
पड़ोसी राज्यों को भी लिखा जाएगा पत्र
झारखंड में इस बीमारी की पुष्टि होने के बाद निदेशालय द्वारा पड़ोसी राज्यों को भी इस बीमारी के विरुद्ध सतर्कता बरतने का पत्र लिखा जाएगा। साथ ही पशुपालकों को इस बीमारी के लक्षण, बीमारी होने पर क्या करें, क्या न करें आदि सावधानी को लेकर जागरूक किया जाएगा।
सूअर से आदमी में नहीं फैलती बीमारी निदेशक
निदेशक ने बताया कि अफ्रीकन स्वाइन फीवर का अभी तक न तो कोई टीका है, न ही कोई इलाज। संक्रमण होने के 24 घंटे के अंदर सूअर की मौत हो जाती है। यह बीमारी सूअर से न तो किसी अन्य जानवर में फैलती है, न ही आदमी में इसका संक्रमण होता है। लेकिन संक्रमित सूअर के संपर्क में आने वाला आदमी या जानवर इसका कैरिअर जरूर हो जाता है, जिससे अन्य सूअरों में फैलता है। इसे देखते हुए मरे सूअरों को पूरी सावधानी के साथ जलाने या दफनाने का निर्देश दिया गया है। साथ ही सूअरों की खरीद-बिक्री नहीं करने का निर्देश दिया गया है।
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