जनजातीय कल्याण योजनाओं के लिए बनेगा एक्शन प्लान

Update: 2023-01-30 10:16 GMT

जमशेदपुर न्यूज़: जनजातीय कल्याण के लिए केंद्र से मिली राशि का तेजी से उपयोग कर अधिक से अधिक लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए पांच साल का एक्शन प्लान बनाया जाएगा. क्रियान्वयन से जुड़े संगठनों के ढांचे में किसी भी तरह की कमी दूर की जाएगी. ये बातें मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने कही. वे कल्याण विभाग की योजनाओं की वर्तमान स्थिति की समीक्षा कर रहे थे.

मुख्य सचिव ने केंद्र संपोषित जनजातीय कल्याण से जुड़ी योजनाओं की धीमी प्रगति पर गहरी चिंता जताई. उन्होंने बेहतर प्रबंधन और समन्वय के साथ हर हाल में इसमें तेजी लाने का निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिया. उन्होंने कहा कि जारी वित्त वर्ष की समाप्ति में अब कम समय बचे हैं.

सरकार की प्राथमिकता में शामिल योजनाओं को ध्यान में रखते हुए इसका लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों को ससमय दें. साल 2023 को क्रियान्वयन का वर्ष घोषित किया गया है. ऐसे में योजनाओं के क्रियान्वयन में आ रही हर बाधा को अधिकारी आपसी और केंद्र से समन्वय स्थापित कर दूर करें. बैठक में वित्त विभाग के प्रधान सचिव, योजना एवं विकास विभाग के सचिव, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के सचिव, आदिवासी कल्याण आयुक्त प्रमुख रूप से मौजूद रहे.

राज्यपाल की समीक्षा में यह उजागर हुआ था कि सीसीडी योजना के अंतर्गत 2020-21 में 1777.29 लाख के विरुद्ध 1019.75 व 2021-22 में 1696.93 लाख के विरुद्ध 262.27 लाख ही राज्य सरकार उपयोग कर सकी है, जिस कारण 2022-23 में स्वीकृत राशि 2551.77 लाख के विरुद्ध राशि विमुक्त नहीं की गई. एससीए टू टीएसपी योजना की समीक्षा के दौरान यह भी सामने आया कि केंद्र सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष 2020-21 में विमुक्त 7049.64 लाख राशि के विरुद्ध 1311.838 लाख, 2021-22 में 6531.00 लाख जारी राशि के विरुद्ध कोई व्यय नहीं हुआ. इस कारण 2022-23 में केंद्र सरकार से राशि प्राप्त नहीं हुई.

राज्यपाल ने कम खर्च पर जताई थी चिंता

राज्यपाल रमेश बैस ने अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए राज्य में संचालित योजनाओं की समीक्षा के दौरान केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त अनुदान राशि वाली योजनाओं पर कम खर्च पर चिंता जताई थी. पांच जनवरी को राज्यपाल की समीक्षा में यह बात सामने आई कि 50 प्रतिशत राशि भी खर्च नहीं की जा सकी है. यह तथ्य भी सामने आया था कि भारत सरकार ने 2020-21 में 102.78 करोड़ राशि के विरुद्ध 43.49 करोड़, 2021-22 में 122.64 के विरुद्ध 17.90 एवं 2022-23 में 67.48 के विरुद्ध राज्य सरकार अब तक कोई राशि व्यय नहीं कर पाई है. स्थिति यह है कि विगत तीन वित्तीय वर्षों में मिली राशि का केवल 50 प्रतिशत खर्च हो पाया है. इस कारण जनजाति आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं.

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