कौन थमा रहा बम जो पत्थर फेंकना छोड़ चुके हैं
जम्मू-कश्मीर में अपने मुखौटे समूह तैयार कर रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर | पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों की नई साजिश सामने आई है। 'जैश-ए-मोहम्मद', 'लश्कर-ए-तैयबा', हिज्ब-उल-मुजाहिदीन, अल-बद्र और अल-कायदा जैसे संगठन, जम्मू-कश्मीर में अपने मुखौटे समूह तैयार कर रहे हैं। इतना ही नहीं, इन मुखौटे समूहों को भी 'अंडर ग्राउंड वर्कर' (यूजीडब्लू) व 'ओवर ग्राउंड वर्कर' (ओजीडब्लू) तैयार करने का टॉस्क दे दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, यूजीडब्लू और ओजीडब्लू, खासकर घाटी में सोशल मीडिया नेटवर्क पर ऐसे युवाओं को तलाश रहे हैं, जो पूर्व में पत्थरबाज रह चुके हैं। यानी ऐसे युवा, जिन्होंने कई वर्षों तक सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंके हैं। इन युवाओं को विस्फोट तैयार करने, स्टिकी बम का इस्तेमाल और आईईडी लगाना सिखाया जाएगा।
बता दें कि पाकिस्तान के आतंकी संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ वर्षों के दौरान अपने कई मुखौटे समूह खड़े कर दिए हैं। जैसे 'लश्कर-ए-तैयबा' ने 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (टीआरएफ) को तैयार किया है तो वहीं 'जैश-ए-मोहम्मद' की सक्रिय प्रॉक्सी विंग को 'पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट' (पीएएफएफ) का नाम दिया गया है। इन दोनों समूहों ने कश्मीर में कई आतंकी वारदातों को अंजाम दिया है। उक्त संगठनों के अलावा यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट जम्मू कश्मीर (यूएलएफजेएंडके), मुजाहिद्दीन गजवत-उल-हिंद (एमजीएच), जम्मू-कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स (जेकेएफएफ) और कश्मीर टाइगर्स भी सक्रिय हैं। इन सभी आतंकी समूहों का प्रयास है कि युवाओं का ब्रेनवॉश कर उन्हें अपने साथ लाया जाए। युवाओं को 'ए' या 'बी' श्रेणी के आतंकी बनाने की बजाए इन्हें यूजीडब्लू और ओजीडब्लू विंग में शामिल किया जाएगा। ओजीडब्लू, जो पब्लिक के बीच रहते हैं, ऐसे में पुलिस को उन पर शक नहीं होता है। ये लोग आतंकियों तक सामान पहुंचाने, उसे छिपाकर रखने और नए युवाओं को समूह में शामिल करने का काम करेंगे।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और जेएंडके की इंटेलिजेंस विंग इन समूहों तक पहुंच रही है। घाटी में मौजूद ओजीडब्लू अभी तक सुरक्षा बलों के लिए चुनौती बने हुए हैं। हालांकि, अब इनका घेरा टूट रहा है। एनआईए ने नवगठित आतंकवादी समूहों पर कार्रवाई की है। दर्जनों जगहों पर छापे मारे गए हैं। समूहों के ठिकानों से जब्त डिजिटल उपकरणों की जांच में कई खुलासे हुए हैं। कश्मीर घाटी में आतंकी संगठनों से सहानुभूति रखने वालों/कैडरों, हाइब्रिड आतंकवादियों और ओवर ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) के ठिकानों का पता लगाया गया है। ये समूह सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को अपने साथ जोड़ते हैं। उन्हें स्टिकी बम और आईईडी बनाना सिखाया जाता है। इन्हें आतंकी हमलों का 'टास्क' भी दिया जाता है।