'जम्मू-कश्मीर में समाचार मीडिया पर कोई अंकुश नहीं': केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर

केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में किसी भी समाचार मीडिया पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है.

Update: 2022-04-08 06:35 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में किसी भी समाचार मीडिया पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है. दरअसल, सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ( Anurag Thakur) ने गुरुवार को संसद में यह जानकारी दी. इस संबंध में तृणमूल कांग्रेस के सांसद अबीर रंजन बिस्वास ने राज्यसभा में पूछा था, जिसका केंद्रीय मंत्री ने जवाब दिया. पश्चिम बंगाल के सांसद ने जानना चाहा था कि क्या सरकार को जम्मू-कश्मीर में समाचार मीडिया पर हाल ही में जारी प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की फेक्ट फाइंडिंग कमेटी (FFC) की रिपोर्ट के बारे में पता है. पिछले महीने, समिति ने कथित तौर पर पाया था, "जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में समाचार मीडिया, विशेष रूप से घाटी में मुख्य रूप से स्थानीय प्रशासन की ओर से लगाए गए व्यापक प्रतिबंधों के जरिए धीरे-धीरे दबाया जा रहा है."

भारतीय प्रेस परिषद ने जम्मू-कश्मीर में मीडिया की स्थिति का अध्ययन करने के लिए सितंबर 2021 में समिति का गठन किया. कमेटी ने 8 मार्च को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. जम्मू और कश्मीर के पत्रकारों की संख्या के बारे में पूछा गया, जिन्होंने 2017 से अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न की सूचना दी ती. इस पर केंद्रीय मंत्री ने बताया, गृह मंत्रालय ने सूचित किया है कि 2017 से अधिकारियों द्वारा मीडियाकर्मियों को किसी भी तरह के उत्पीड़न की कोई घटना नहीं आई है."
हालांकि, उन्होंने कहा कि बिना किसी पेशे या अन्य भेदभाव के कानून प्रवर्तन एजेंसियां ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करती हैं जो देश की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा करने वाली किसी भी गतिविधि में शामिल पाया जाता है. वहीं, एफएफसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उन पत्रकारों की एक लंबी सूची है जिन्हें व्यक्तिगत रूप से परेशान किया गया है. रिपोर्ट में दावा किया गया है, "इसका उद्देश्य सरकार की तरफ आने के लिए डर पैदा करना है." केंद्रीय मंत्री ठाकुर ने इस निष्कर्ष से इनकार किया कि कई सरकारी कार्यालयों में जनसंपर्क का काम पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया है.
जम्मू-कश्मीर में 2105 प्रवासी नौकरी के लिए घाटी वापस लौटे- केंद्र
वहीं, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए के बाद बदली स्थिति पर जानकारी दी. उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में अब तक 2105 प्रवासी नौकरी के लिए घाटी वापस लौटे हैं. इस दौरान करीब 4 कश्मीरी पंडितों की हत्या हुई है. वहीं, आतंकवादियों के हमले में 14 हिंदू मारे गए हैं. आर्टिकल 370 निरस्त होने के बाद 2020-21 में नियुक्तियों की संख्या 841 थी और 2021-22 में नियुक्तियों की संख्या 1264 थी. दरअसल, शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने राज्यसभा में प्रश्न किया था और उन्होंने पूछा था कि सरकार ने कश्मीरी पंडितों के लिए 3 हजार नौकरी देने का वादा किया था. अब तक कितने लोगों को नौकरी दी जा चुकी है.
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