माता वैष्णो देवी यात्रियों की अब नियमित रूप से होगी ट्रैकिंग
माता वैष्णो देवी यात्रियों की अब नियमित रूप से ट्रैकिंग होगी। श्राइन बोर्ड की ओर से जल्द ही रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान पत्र (आरएफआईडी) देने की व्यवस्था शुरू होने जा रही है।
माता वैष्णो देवी यात्रियों की अब नियमित रूप से ट्रैकिंग होगी। श्राइन बोर्ड की ओर से जल्द ही रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान पत्र (आरएफआईडी) देने की व्यवस्था शुरू होने जा रही है। इससे यात्रियों की आवाजाही पर नजर रखी जा सकेगी। लोकेशन ट्रैक होने से आपात स्थिति में सभी आवश्यक कदम उठाए जा सकेंगे।
इस साल एक जनवरी को मंदिर मार्ग पर भगदड़ मचने से 12 लोगों की जान चली गई थी और 16 अन्य घायल हुए थे। इसी हादसे को देखते हुए ये उपाय किए गए हैं। मंदिर मार्ग पर इस तरह का यह पहला हादसा था जिसके बाद उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए शत-प्रतिशत ऑनलाइन पंजीकरण समेत कई कदमों की घोषणा की थी।
अधिकारियों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर प्रशासन श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के माध्यम से मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए आरएफआईडी शुरू करने की योजना बना रहा है। इससे श्रद्धालुओं के आगमन पर नजर रखने में मदद मिलेगी और यात्रा मार्ग में भीड़ बढ़ने की स्थिति में प्रभावी उपाय सुनिश्चित किए जा सकेंगे।
दुर्गा भवन, गर्भगृह की क्षमता में विस्तार
हादसे के बाद जांच, बुनियादी ढांचे में वृद्धि और पूरे मार्ग पर भीड़भाड़ कम करने के लिए भी निर्देश जारी किए गए थे। इसी के तहत दो हजार यात्रियों की क्षमता वाले दुर्गा भवन के निर्माण में भी तेजी लाई जा रही है ताकि मंदिर परिसर में भीड़ न जमा हो। भवन (गर्भगृह) में भारी भीड़ को ध्यान में रखते हुए प्रस्तावित दुर्गा भवन के निर्माण का काम तेज किया जा रहा है। खराब मौसम के दौरान मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को समायोजित किया जा सकेगा।
रेडियो तरंगों पर काम करता है आरएफआईडी
आरएफ आईडी वायरलेस तकनीक पर आधारित होता है जिसका उपयोग रेडियो तरंगों के माध्यम से ट्रैकिंग के लिए किया जाता है। इसके टैग में गुप्त जानकारी, क्रम संख्या और संक्षिप्त विवरण दर्ज किया जा सकता है।
कोरोना के चलते 2020 में सबसे कम पहुंचे श्रद्धालु
वैष्णो देवी मंदिर में दर्शन के लिए 2021 में 55.77 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे थे, जबकि 2020 में कोरोना महामारी के कारण 17 लाख श्रद्धालु ही वहां गए थे। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने महामारी के मद्देनजर श्रद्धालुओं की दैनिक संख्या सीमित कर दी थी। वर्ष 1986 में बोर्ड के गठन के साथ 13.95 लाख श्रद्धालु पहुंचे थे, लेकिन इसके बाद हर साल श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती गईअब तक सबसे अधिक 1.04 करोड़ यात्री 2012 में पहुंचे थे, जबकि इससे पहले 2011 में 1.01 करोड़ श्रद्धालुओं ने माथा टेका था। तीन दशक में सबसे कम 17 लाख यात्री 2020 में पहुंचे थे। इस साल कोरोना के कारण पांच महीने तक यात्रा बंद रही थी, जिसे 16 अगस्त को दोबारा शुरू किया गया था।